एक राज्य के तौर पर झारखंड ने सोलह साल का सफर तय कर लिया है. इस दौरान एक अलग राज्य के तौर पर झारखंड ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है. लेकिन, नये राज्य के बनने के बाद से झारखंड से जैसी उम्मीद की जा रही थी, वैसा कुछ हो नहीं हो पाया. फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि इस दौरान राज्य कई मामले में आगे बढ़ा है....
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नोटबंदी के साइड इफेक्टस् : सबसे ज्यादा चोट किसपर ?
विमुद्रीकरण से मची अफरा-तफरी के बीच क्या देश इस हालत में है कि रोजमर्रा की चीजों की खरीद के लिए सरकारी घोषणाओं के मुताबिक बैंकों और एटीएम से नगदी जुटा सके ? सरकारी घोषणाओं में देशवासियों से कहा गया है कि वे नगदी की तात्कालिक कमी से होने वाली असुविधा के लिए क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, मोबाइल और इलेक्ट्रानिक वैलेट का इस्तेमाल करें. लेकिन क्या देश कैशलेस इकॉनॉमी की तरफ कदम...
More »10 हजार किसानों की मदद कर रही है यह केमिकल इंजीनियर
मुंबई। कुछ अच्छा करने की चाह हो, तो रास्ते आपने आप बन जाते हैं। केमिकल इंजीनियर रीमा साठे ने महाराष्ट्र के किसानों की खराब हालत के बारे में एक लेख पढ़ा और कुछ करने की सोचा। इसके साथ ही उन्होंने 'हैप्पी रुट्स' नाम की एक स्टार्ट अप की शुरुआत की। यह फूड कंपनी स्वस्थ, प्राकृतिक और प्रिजर्वेटिव फ्री नाश्ता बनाती है। इसके लिए महाराष्ट्र में छोटे और आदिवासी किसानों से कच्चा...
More »बीमारी की दहशत, घरवालों को भेज रहे गांव से बाहर
बड़वानी-खेतिया। जिले के खेतिया क्षेत्र में गत दिनों फैली उल्टी-दस्त की बीमारी के बाद इसके कुछ साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। नईदुनिया ने ग्राम मोरतलाई पहुंच स्थिति का जायजा लिया, तो पता चला कि गांव में बीमारी की दहशत से कई परिवारों में महिलाओं व बच्चों को रिश्तेदारों के यहां भेज दिया गया है। इससे एक ओर जहां गांव सूना-सूना नजर आ रहा है, वहीं स्कूलों में भी...
More »आंकड़ों से बाहर अलक्षित स्त्री-श्रम-- सुजाता
पुरानी बॉलीवुड फिल्मों में मां के किरदार को याद करते हुए अक्सर एक चेहरा निरूपा राय जैसी मां का सामने आता है, जो विधवा है, दुखी है, लेकिन स्वाभिमानी है. पति के न रहने पर वह दिन-रात दूसरों के कपड़े सिल कर अपने बच्चों को बड़ा करती है. अचानक यह एहसास होता है कि दुनिया का सारा कारोबार पुरुष के श्रम पर चलता है और स्त्री इसमें केवल मर्द के...
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