हम ही हम हैं सब जगह. हमारे बिना किसी का काम नहीं चलता. न सरकार की सत्ता चलती है और न ही कंपनियों और बैंकों का धंधा. टैक्स से रूप में मिला जनधन ही सरकार की संजीवनी है और लोगों से मिली जमा ही बैंकों का मूलाधार है. लेकिन विचित्र कालिदासी व्यवस्था है कि सभी अपने मूलाधार को ही काटने में जुटे हैं. इसे रोकने के सरंजाम जरूर हैं. लेकिन...
More »SEARCH RESULT
बैंकों के फंसे कर्ज पर चुप्पी क्यों- देविन्दर शर्मा
हाल में एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट हैरान करने वाली थी। पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान 29 राष्ट्रीयकृत बैंकों ने 1.14 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को न वसूल हो सकने वाले डूबत खाते में डाल दिया। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, 7.32 लाख करोड़ रुपये का ऋण आश्चर्यजनक रूप से सिर्फ दस कंपनियों को दिए गए था। ये रिपोर्टें ऐसे वक्त में आ रही हैं, जब आर्थिक...
More »2012-15 के दौरान सरकारी बैंकों के 1.14 लाख करोड़ रुपए डूबे
अपने बहीखातों को दुरस्त करने के प्रयास स्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों ने वित्त वर्ष 2012-15 के दौरान 1.14 लाख करोड़ रुपए के फंसे कर्ज को बटटे खाते में डाला। बैंकों ने 2014-15 में जो राशि बटटे खाते में डाली, वह इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 53 फीसदी अधिक थी। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान बैंकों ने 52,542 करोड़ रुपए बटटे खाते में...
More »दस प्रतिशत शहरी गरीब परिवारों की संपत्ति मात्र 291 रुपये
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। बार-बार मानसून की बेरुखी से खेती पर मार और रोजगार के अभाव के कारण गांवों की स्थिति खराब है, लेकिन हकीकत में शहर के गरीबों का हाल और भी बुरा है। शहरों में 10 प्रतिशत गरीब परिवार के पास औसतन मात्र 291 रुपये की संपत्ति है। इन परिवारों की स्थिति गांव के गरीबों से भी बदतर है। इतना ही नहीं शहर में गरीब और अमीर परिवारों की...
More »ऐसे तो निर्मल नहीं होगी गंगा-- भरत झुनझुनवाला
सरकार गंगा को निर्मल बनाना चाहती है. ‘निर्मल' का अर्थ हुआ कि पानी शुद्ध है. शुद्धता बहाव से आती है. जैसे ठहरा हुआ पानी एक सप्ताह बाद सड़ने लगता है, लेकिन फुहारे से नाचता पानी शुद्ध रहता है, यह बात नदियों की निर्मलता पर भी लागू होती है. सरकार का प्रयास है कि गंगा के पानी को साफ कर दिया जाये. नगरपालिकाओं को सीवर प्लांट लगाने के लिए धन आवंटित...
More »