नई दिल्ली। जियो के जरिये टेलीकॉम क्षेत्र में तूफान मचाने के बाद अब मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज रसोई गैस सिलेंडर के कारोबार में भी उतर आई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत कंपनी ने चार किलो वाले एलपीजी गैस सिलेंडर लांच किए हैं। इन्हें चार जिलों में बांटा जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनिंग कांप्लेक्स का संचालन करने वाली कंपनी ने दूसरी तिमाही के नतीजों पर इंवेस्टर...
More »SEARCH RESULT
राजद्रोह का चना जोरगरम-- चंदन श्रीवास्तव
फिल्म प्यासा का गीत है- ‘सर जो तेरा चकराये या दिल डूबा जाये', एक जगह तनिक छेड़ के साथ पात्र कहता है कि ‘लाख दुखों की एक दवा है क्यों ना आजमाये.' ऐसी दवा साहित्य के पन्नों में मिला करती है, लेकिन लगता है अब राजनीति ने भी यह दवा खोज निकाली है. सार्वजनिक महत्व के मसले पर राजनीतिक असहमति से उपजनेवाले तमाम दुख-दर्दों से छुटकारे की इस दवा का...
More »इस कदम से बच सकते हैं डेढ़ लाख करोड़ रुपये, थमेगी महंगाई
नयी दिल्ली: देश में फल-सब्जियों के लिये रेफ्रिजरेटेड परिवहन व्यवस्था एवं अन्य ढांचागत सुविधा से भारी मात्रा में इनकी बर्बादी की रोक थाम के साथ इनकी मंहगाई पर भी ‘ब्रेक' लगाया जा सकता है और इससे देश की अर्थव्यवस्था में सालाना 1,50,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हो सकती है. यह बात लाजिस्टिक कंपनी रीविगो ने एक रिपोर्ट में कही है. रपट के अनुसार, इतना ही नहीं, इससे किसानों को उनकी...
More »चिकुनगुनिया मौतें : स्वास्थ्य मंत्रालय ने मांगी दिल्ली सरकार से रिपोर्ट
नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी में चिकुनगुनिया से छह मरीजों की मौत तथा 1000 से अधिक लोगों के इसके चपेट में आने के बाद दिल्ली सरकार से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. राष्ट्रीय राजधानी समेत देश में डेंगू और चिकुनगुनिया की स्थिति की समीक्षा के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक करने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री...
More »मलेरिया से लड़ रहे एक गांव की कहानी-- भरत डोगरा
पड़ोसी देश श्रीलंका को मलेरिया मुक्त बनने का प्रमाण-पत्र दिए जाने से हम प्रसन्न हो सकते हैं, लेकिन हमारे लिए मलेरिया से मुक्ति एक सपने की तरह ही है। खासकर मध्य भारत में और वहां भी विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में, जहां मलेरिया का प्रकोर बहुत ज्यादा है और जानलेवा भी। वहां फाल्सीपेरम मलेरिया की बड़े पैमाने पर उपस्थिति आदिवासी गांवों में एक बड़ी समस्या बनी हुई है। बाकी जगहों पर हालात...
More »