क्या आप जानना चाहते हैं कि बाढ़ या भारी बारिश के कारण देश में हर साल कितने लोगों की जान जाती है, कितने मवेशी मौत का शिकार होते हैं, कितने मोल की फसल मारी जाती है और देश को हर साल कितनी संपत्ति का नुकसान होता है ? आपके इन सवालों के जवाब छुपे हैं केंद्रीय जल आयोग के नये आंकड़ों में. बीते 64 सालों में बाढ़ और भारी बारिश से होने वाले...
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मॉनसून के ठिठकने का नुकसान-- हिमांशु ठक्कर
केरल से चले मॉनसून पर मध्य भारत पहुंचते ही ब्रेक लग गया है और बीते 13 जून से वह आगे ही नहीं बढ़ पाया है. माना जा रहा है कि पिछले आठ साल में यह पहली बार है, जब मॉनसून कहीं ठिठक गया हो. लेकिन, पिछले साल भी थोड़े समय के लिए ऐसा हुआ था. अब तक तो पूरे मध्य भारत में मॉनसून पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन अब इसके...
More »किसानी से डरने वाला समाज-- मृणाल पांडे
आज के भारत भाग्य विधाता मानें या नहीं, अन्न उत्पादन के मामले में भारत का आत्मनिर्भर बन जाना, बीसवीं सदी की सबसे बड़ी घटनाओं और हमारी राष्ट्रीय उपलब्धियों में से है. लेकिन, कम लोगों को याद होगा कि हरित क्रांति के जनक नॉर्मन बोरलॉग ने नोबेल पुरस्कार ग्रहण करते वक्त भाषण में दो बातें कही थीं. पहला, हरित क्रांति अमरता की बूंदें पी कर नहीं आयी. इसका भी किसी दिन...
More »पलायन का दर्द : न नरेगा ने रोका और न रोक पा रही मनरेगा..
दरभंगा : मलमास में कोई शुभ कार्य नहीं होता. यात्रा से भी परहेज का विधान है, लेकिन पेट की आग ने मिथिला क्षेत्र के मजदूरों को इस विधान व परंपरा को तोड़ने के लिए विवश कर दिया है. रोजी-रोटी की जुगाड़ में मिथिला के मजदूर इन दिनों पंजाब व हरियाणा जा रहे हैं. अपने गांव में काम मिल नहीं रहा. न तो मनरेगा से रोजगार मिल रहा है और न...
More »नहरों से घिरा है पूर्व बर्दवान का यह गांव, अब भी धरती के ‘लाल’ तैर कर जाते हैं स्कूल
कोलकाता : पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री कभी गंगा नदी तैरकर स्कूल जाते थे. यह बात सौ साल से अधिक पुरानी हो गयी है. अब तो विज्ञान चांद ही नहीं, मंगल ग्रह पर भी कदम रखने की तैयारी कर रहा है. शासन-प्रशासन की ओर से जब-तब तरक्की का डंका पीटा जाता है. लेकिन आज भी पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान जिले के कटवा सब डिवीजन के उद्धरणपुर विधानपल्ली गांव के...
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