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दिव्यांगों के कार्यक्रम में बोले PM MODI, चलता है का रवैया अब इतिहास बन गया

अहमदाबाद : आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 66 वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस अवसर पर वह अपनी मां का आशीर्वाद लेने के बाद गुजरात के नवसारी में  दिव्यांगों के कार्यक्रम में पहुंचे. यहां उन्होंने  कहा कि किसी भी दिव्यांग भाई-बहन को किसी से सहानुभूति की जरूरत नहीं है. वह अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए सक्षम हैं. हम भारत के उन पक्षों पर ध्यान दे रहे हैं जिस...

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केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों पर जनता के धन का गलत इस्तेमाल किया : समिति

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर केंद्र सरकार की ओर से गठित एक समिति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर बरसते हुए आज कहा कि इसने उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का प्रचार करने वाले सरकारी विज्ञापनों पर जनता के पैसे पानी की तरह बहाए. समिति ने सत्ताधारी ‘आप' से कहा है कि वह विज्ञापनों पर हुए अनुचित...

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गोलवलकर की किताब के बहाने-- रामचंद्र गुहा

बेंगलुरु किताबों का शहर नहीं है। फिर भी यह मेरा शहर ही है, जहां से करीब 50 साल पहले एक किताब छपी थी, जिसे भारतीय समाज और राजनीति के हर विद्यार्थी को अनिवार्य रूप से पढ़ना चाहिए। यह किताब थी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक एमएस गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स, जिन्होंने संघ को न सिर्फ 30 वर्ष से ज्यादा वक्त तक नेतृत्व दिया, बल्कि आज भी संघ के लिए...

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कूड़े से मुक्ति का रास्ता खोज रही दुनिया-- महेंन्द्र राजा जैन

पिछले वर्ष मैं पूर्वी यूरोप के क्रोएशिया और स्लोवानिया में दो सप्ताह की यात्रा पर गया था। वहां जहां-जहां यानी जिन शहरों में गया, सड़कों पर सफाई देखकर दंग रह गया। इसके मुकाबले यहां ब्रिटेन में गंदगी की समस्या बहुत गंभीर और अनियंत्रित है। इससे अक्सर लगता है कि लंदन शायद अब दुनिया भर में न सही, मगर यूरोप में सबसे अधिक गंदा शहर है। पिछले काफी समय से यहां...

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आखिर क्यों पीछे रह जाते हैं मध्यप्रदेश के विद्यार्थी?

डॉ. जयंतीलाल भंडारी। हाल ही में नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) के नेशनल एचीवमेंट सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि मध्यप्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थी हर विषय की पढ़ाई में राष्ट्रीय औसत से भी कमजोर हैं। सर्वे में यह भी कहा गया है कि प्रदेश में प्रायवेट स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों के बच्चे और अधिक कमजोर हैं। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में कमी...

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