अक्सर लोग किसी काम के न हो पाने के लिए संसाधनों का रोना रोते रहते हैं. लेकिन कुछ ऐसे सिरफिरे होते हैं जो जिस काम के पीछे जुट जाते हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं. चाहे संसाधन उपलब्ध हो या न हो. ऐसी ही एक मिसाल शनिचरवा उरांव की है. सड़क हादसे में पांव गंवाने वाले शनिचरवा से जब घर और समाज के लोगों ने मुंह...
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कृषि मशीनीकरण में भारत काफी पीछे
नई दिल्ली। खेती में मशीनों के इस्तेमाल में भारत अन्य देशों से काफी पीछे है। सरकार मजदूरों की कमी को देखते हुए इस क्षेत्र में मशीनरी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। एक सरकरी अधिकारी के अनुसार खेती के मशीनीकरण में जापान जैसे देशों की तुलना में बहुत पिछड़े हैं। गन्ने की खेती में यहां मात्र 10 से 15 फीसद ही यंत्रों का इस्तेमाल हो पाता है। इसलिए इसमें...
More »सेज के विकास के लिए ज्यादा समय अब आसानी से नहीं
सख्ती समय सीमा में विस्तार डेवलपर्स को तभी दिया जाएगा जब सेज के विकास में दिखेगी प्रगति प्रभावित कौन वैसे डेवलपर्स इस कदम से होंगे प्रभावित, जिन्होंने पांच साल से सेज विकास के नाम पर कुछ भी नहीं किया है हिदायत सभी सेज विकास आयुक्तों को इस संबंध में डेवलपर्स को हिदायत जारी करने के लिए कहा है वाणिज्य मंत्रालय ने उम्मीद इस प्रकार की सख्ती से अधिसूचित सेज के संचालन में आएगी तेजी सेज विकास के लिए...
More »यूरिया का आयात 48 फीसदी बढ़कर 11 लाख टन
चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही अप्रैल-जून के दौरान देश में यूरिया का आयात 48 फीसदी बढ़कर 11.09 लाख टन हो गया। इस साल मानसून जल्दी सक्रिय होने के कारण यूरिया की मांग ज्यादा रहने की संभावना है। देश में पिछले साल समान अवधि में 7.47 लाख टन यूरिया का आयात किया गया था। उर्वरक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान कुल...
More »तिरस्कार की मार- मनोज रावत
बात सितंबर, 1893 की है. उत्तराखंड के चमोली में बहने वाली बिरही नदी में एक पहाड़ गिर गया. बिरही आगे जाकर अलकनंदा में मिलती है जिसके भागीरथी में मेल के बाद बनी धारा को गंगा कहा जाता है. बिरही में पहाड़ गिरने से एक विशाल झील बन गई. ताल के एक छोर पर गौणा गांव था और दूसरे पर दुर्मी तो कोई इसे गौणा ताल कहता और कोई दुर्मी ताल....
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