नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। देश के प्रमुख अन्न उत्पादक राज्यों में मानसून की देरी से संकट के बादल फिर मंडरा रहे हैं। जून का महीना इस क्षेत्र में खेती के लिए खराब साबित हुआ। इस दौरान इतनी बारिश नहीं हुई कि किसान हल चलाने निकल पड़ता। धान, सोयाबीन और मोटे अनाज की खेती वाले प्रमुख अन्न उत्पादक सात राज्यों में जून में 22 से 82 फीसदी तक कम...
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जहर का कारोबार- वंदना शिवा
भोपाल गैस त्रासदी मनुष्य जाति के इतिहास का भयावहतम औद्योगिक हादसा था, लेकिन इसके शिकार हुए लोगों के साथ हुआ अन्याय भी किसी त्रासदी से कम नहीं है। यूनियन कार्बाइड में ‘काराबिल’ नामक कीटनाशक बनाया जाता था, जिसका इस्तेमाल मुख्यत: कपास की खेती में होता है। गैस त्रासदी के बाद ही मैंने निश्चय किया था कि मैं जैविक खेती को बढ़ावा देने की कोशिश करूंगी और यही विचार ‘नवधान्य’ की...
More »हटेगी कपास निर्यात से रोक
नई दिल्ली। इस साल अक्टूबर से कपास निर्यात पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा। कपड़ा मंत्रालय के रुख के विपरीत वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने शुक्रवार को कहा कि एक अक्टूबर से कपास का बिना किसी किसी रोक टोक के निर्यात किया जा सकेगा। वाणिज्य मंत्रालय कोशिश में है कि निर्यात पर किसी तरह का प्रतिबंध न रह जाए। यही नहीं मंत्रालय कपास निर्यात पर किसी तरह के शुल्क लगाए जाने के भी पक्ष...
More »कपास की खेती के लिए नया कीटनाशक
मोहाली, : कपास भारत की सबसे महत्वपूर्ण रेशेदार फसल होने के साथ-साथ देश की कृषि और औद्योगिक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कपड़ा उद्योग के लिए कपास रीढ़ की हड्डी के समान है। कपड़ा उद्योग में 70 प्रतिशत रेशे कपास के ही इस्तेमाल होते है और भारत से विदेशों को होने वाले कुल निर्यात में लगभग 38 प्रतिशत निर्यात कपास का होता है, जिससे देश को 42 हजार करोड़ रुपये...
More »दाल से टूटता रोटी का नाता
नई दिल्ली [रमेश दुबे]। दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहा अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रुपये की वृद्धि की गई है, वहीं मूंग में 410 रुपये तथा उड़द में 380 रुपये की...
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