जनज्वार, जितनी ज्यादा समाज में कोरोना वायरस की भयावहता बढ़ती जा रही है, उससे कहीं ज्यादा खौफ लोगों में पुलिस का बन रहा है। इसकी वजहें भी हैं। इस दौरान कई ऐसी घटनायें सामने आयी हैं, जिनमें पुलिसिया प्रताड़ना खुलकर सामने आयी है। हाल की घटना उत्तर प्रदेश की है, जहां बिस्किट लेने घर से बाहर निकलने 22 साल के रिजवान को पुलिस ने इतना पीटा कि इलाज के दौरान उसकी...
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कोरोना वायरस: दुनिया भर में एक लाख 65 हज़ार लोग मरे, केवल अमरीका में 40 हज़ार से ज़्यादा मौतें
-बीबीसी, दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या 2,404,071 हो गई है और अब तक एक लाख 65 हज़ार 229 लोगों की मौत हुई है. -रविवार को अमरीका में मरने वालों की संख्या 40 हज़ार के पार चली गई. अमरीका में मरने वालों की तादाद पूरी दुनिया की लगभग एक तिहाई है. यहां संक्रमितों की कुल संख्या 760,000 हो गई है. -संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अमरीकी राष्ट्रपति...
More »कृषि मंत्रालय के अनुसार देशभर में लॉकडाउन के बीच गेहूं की 67 फीसदी कटाई पूरी
-आउटलुक, कोरोना वायरस महामारी के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन के बीच सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए देश में अब तक गेहूं के कुल 310 लाख हेक्टेयर रकबे के 67 फीसदी की कटाई की जा चुकी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार मौजूदा अनिश्चितता के बीच कृषि संबंधी कार्य उम्मीद बढ़ाने वाली गतिविधियां है, जो देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है। पूरे देश में किसान और खेतिहर मजदूर सभी विपत्तियों...
More »कोरोना संकट में दिखा गरीबी का नया मानचित्र
-इंडिया टूडे, कोरोना संकट ने सचमुच गरीबी का नया मानचित्र दिखाया है. इस मानचित्र में ऐसे गरीब ज्यादा हैं जो रोज न कमाएं तो उनके लिए पेट की भूख को शांत करना मुश्किल है. सरकारी स्तर पर बांटे जा रहे राशन और फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के आंकड़ों पर गौर करें तो ऐसे गरीबों की भी तादाद बड़ी है जो रोज न कमाएं तो उन्हें परिवार के साथ भूखे पेट ही...
More »लॉकडाउन या नॉकडाउन
न्यूजप्लेटफार्म, मैं इस बहस में नहीं पडूंगा कि भारत कोरोना के सामुदायिक प्रसार के दौर में है या नहीं क्योंकि यदि नहीं भी है तो बहुत जल्द पहुंच जाएगा. पहले दिन से ही यह स्पष्ट है कि भारत में कोरोना के नियंत्रण के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन किया जाना सही नहीं है. उसकी जनसांख्यिकी, उसकी अर्थव्यवस्था, उसका सामाजिक पिछड़ापन और इस सब से ज्यादा उसके शासन का पिछड़ा रवैया, जवाबदेही का अभाव...
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