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भारतीय मॉनसून पर असर डालती उत्तरी ध्रुव की बदलती जलवायु

मोंगाबे हिंदी, 15 मई उत्तरी ध्रुव में पिछले एक हजार साल के ठंडे और गर्म मौसम के दौर को एक अध्ययन के जरिए फिर से बनाया या रीकंट्रस्ट किया गया है। इसमें पाया गया है कि इस दौरान भारत के मॉनसून में भी बदलाव देखा गया। भारत के नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (NCPOR) के वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्म उत्तरी ध्रुव की स्थिति भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत ज़्यादा...

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साल 2022 में दुनियाभर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची

द वायर, 15 मई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के अंत तक दुनियाभर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (इंटरनली डिस्प्लेस्ड पीपल- आईडीपी) की संख्या 71.1 मिलियन (7 करोड़ से अधिक) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो 2021 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है. आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (Internal Displacement Monitoring Centre- आईएमडीसी) और नॉर्वेन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) की 76 पृष्ठीय रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनीतिक संकट,...

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मक्का में गिरावट जारी, भाव घटने से किसानों को 20 हजार रुपये प्रति एकड़ का हो रहा नुकसान

रूरल वॉयस, 11 मई मक्का के भाव में गिरावट का रुख लगातार जारी है। रबी सीजन के मक्का की मंडियों में आवक बढ़ने, निर्यात मांग के अभाव और विदेशी बाजारों में दाम घटने से औसतन भाव 1750-1850 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। इसकी वजह से किसानों को पिछले साल की तुलना में 400-500 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। 2022-23 के लिए सरकार ने मक्के का...

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असामान्य रूप से लंबे ला नीना ने 2022 में रिकॉर्ड संख्या में लोगों को विस्थापित किया

डाउन टू अर्थ, 11 मई आपदाओं के कारण 2021 की तुलना में 2022 में विस्थापित लोगों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र की प्रमुख वार्षिक रिपोर्ट आंतरिक विस्थापन 2023 पर वैश्विक रिपोर्ट (जीआरआईडी-2023) 11 मई को प्रकाशित हुई, जिसमें कहा गया है कि 3.26 करोड़ लोग आपदाओं के कारण विस्थापित हुए थे। आपदा के कारण 98 प्रतिशत विस्थापन की वजह बाढ़ और तूफान जैसी मौसम संबंधी...

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लोहरदगा के कुड़ू प्रखंड में मनरेगा के 18 हजार 88 जॉबकार्ड, एक साल में सिर्फ 202 लोगों को मिला 100 दिन का रोजगार

जनचौक ,9 मई  मनरेगा योजना पहले ही प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान स्थापित करती रही है, जिसके कारण मनरेगा मजदूर परेशान रहे हैं। अब केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा योजना के बजट में की गयी भारी कटौती और उसमें किये गए तकनीकी बदलाव के चलते योजना से मजदूरों का मोहभंग हो रहा है। दरअसल ऑनलाइन मोबाइल हाजरी प्रणाली एनएमएमएस के द्वारा मज़दूरों की उपस्थिति दर्ज करने के साथ-साथ आधार आधारित भुगतान प्रणाली...

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