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भंडार भरे, फिर भी मार रही महंगाई

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। सरकारी भंडारों में निर्धारित मानक से तीन गुना ज्यादा अनाज, पिछले साल से बेहतर चीनी सत्र और सस्ते खाद्य तेलों की पर्याप्त उपलब्धता!...इसके बाद भी महंगाई मार रही है। दरअसल सरकार खाद्य अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में बुरी तरह चूक गई है। शुक्रवार को संसद में चीनी की कीमतों में वृद्धि के बहाने प्रधानमंत्री ने इसे असफलता को स्वीकार भी कर लिया। उचित समय पर सही निर्णय लेने में खाद्य मंत्रालय...

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मौत के धंधों पर जड़े ताले

अमृतसर/जिंद/फतेहाबाद। अमृतसर के वेरका-अटारी बाइपास की लिंक रोड से सटे लोहार का गाव की गुमटाला कालोनी में सोमवार सुबह करीब 7 बजे स्वास्थ्य विभाग की एक टीम ने करण सिंह दोधी की कोठी पर छापा मारा। तब करण सिंह नकली दूध बना रहा था। मौके पर ही उसे दबोच लिया गया। उसके साथ उसकी पत्नी भी इस धंधे में शामिल थी। कोठी में ही फैक्टरी चला रहे इस दोधी से चार बोरी सूखा...

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चावल घोटाले में आईएएस प्रसाद पर मुकदमा दर्ज

चंडीगढ़. 1993 बैच के आईएएस के. शिवा प्रसाद के खिलाफ केस चलाने के लिए केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग ने मंजूरी दे दी है। सीबीआई ने घटिया चावल लेने के तीन मामले शिवा प्रसाद पर दर्ज किए हैं। एफसीआई के सीनियर रीजनल मैनेजर रहते हुए उन पर केस दर्ज किए गए थे। मालूम हो कि सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने सितंबर और अक्टूबर 2005 में कई जिलों में छापे मारकर 451 सैंपल कलेक्ट किए...

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नक्सलियों को मिलेगी पेंशन

नारायणपुर. आत्मसमर्पित नक्सलियों के शैक्षणिक और आर्थिक विकास के लिए उन्हें पेंशन दी जाएगी। नक्सली प्रभावित परिवार को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पीड़ित परिवार को आवास, स्वरोजगार की सुविधा दी जाएगी साथ ही ऐसे परिवार के सदस्यों को चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुकंपा नियुक्ति शीघ्र दी जाएगी। योजना को अमली जामा पहनाने के लिए विभागीय अधिकारियों से सूची मांगी गई है।कलेक्टर केन को एसपी द्वारा सौंपी गई...

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ये बेहाल सूरतें लेकिन गहरी नींद में है समाज

छपरा [कृष्णकांत]। 'खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो..।' बहुत दुश्मन दौर के गहरे धंसी टीस का बेतरतीब बयान है यह गीत- फिल्म 'खिलौना' का। गाना मशहूर अभिनेता स्व. संजीव कुमार पर फिल्माया गया था-जो अब रीयल लाइफ में भी कई ऐसे लोगों पर घट रहा है, जिनकी रातें बेचैनियों में कटीं। वे सुखिया नहीं है कि खाते और सोते। दुखिया है इसलिए कि जाग गये, जान गये। अब रो-रो कर असहज...

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