इंदिरा गांधी के इमरजेंसी राज के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जिस जनता पार्टी ने सत्ता से बेदखल किया, उसका चुनाव चिह्न हलधर था। उस चुनाव का एक नारा था, देश की खुशहाली का रास्ता खेतों और गांवों से होकर जाता है। साफ है कि तब राजनीति के केंद्र में किसान और गांव-देहात था। अब सोलहवीं लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस चुनाव में मध्यवर्ग,...
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राजनीतिक शक्ति का प्रयोजन क्या है- रविभूषण
सोलहवें लोकसभा चुनाव की घोषणा के पूर्व अब तक के जो राजनीतिक दृश्य हैं, उनमें किसी कोने से भी यह मालूम नहीं होता कि राजनीति को गंभीरता से देखा-समझा जा रहा है. बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि राजनीति से जुड़े लोग (नेता सहित) राजनीति को किन अर्थो-मूल्यों से जोड़ रहे हैं? क्यों कोई दल चुनाव में अपने प्रत्याशियों को खड़ा करता है? किसी भी अन्य राजनीतिक दल से कोई...
More »विषमता का विकास- सुषमा वर्मा
जनसत्ता 17 फरवरी, 2014 : विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में यह रहस्योद्घाटन किया कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले पंद्रह बरस में बढ़ कर बारह गुना हो गई है। क्रिस्टीना के अनुसार, इन मुट्ठी भर अमीरों के पास इतना पैसा है जिससे पूरे देश की गरीबी को एक नहीं, दो बार मिटाया जा सकता है। लेगार्ड के इस बयान से पुष्टि होती है...
More »अगले सीजन के लिए गन्नामूल्य में मामूली बढ़त
केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2014 से शुरू होने वाले आगामी पेराई सीजन के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में मामूली 10 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 220 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की गुरुवार को हुई बैठक में पेराई वर्ष 2014-15 के लिए गन्ने के एफआरपी में बढ़ोतरी की गई, लेकिन चीनी मिलों को 40 लाख टन रॉ-शुगर के निर्यात पर इंसेंटिव...
More »चीनी को लेकर खाद्य व कृषि मंत्रालय में तनातनी, फंसा राहत पैकेज
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नकदी संकट और घाटे से जूझ रहे चीनी उद्योग को एक और राहत पैकेज देने को लेकर कृषि और खाद्य मंत्रालय के बीच तनातनी के चलते आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) में फैसला नहीं हो सका। फैसला कैबिनेट की अगली बैठक के लिए टाल दिया गया है। खाद्य मंत्रालय ने मंत्रिसमूह (जीओएम) की सिफारिशों के विपरीत कैबिनेट नोट तैयार किया था। इस पर कृषि मंत्रालय ने...
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