दिप्रिंट ,15 अगस्त गुजरात और राजस्थान में बड़े पैमाने पर फैले लंपी स्किन रोग ने हजारों मवेशियों को अपनी चपेट में ले लिया है. लेकिन फिर भी भारत की दुग्ध उत्पादन की राजधानी कहे जाने वाले और भारत के सबसे बड़े डेयरी ब्रांड ‘अमूल’ के घर आणंद में इसका प्रभाव काफी कम रहा है. गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन-जीसीएमएमएफ) – जो भारत का सबसे पुराना और सबसे...
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क्या गिद्धों की संख्या बढ़ाने में मददगार साबित होगा गोरखपुर का गिद्ध केंद्र?
डाउन टू अर्थ, 11 अगस्त उत्तर प्रदेश के गोरखपुर वन प्रभाग के भारीवैसी में वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र का निर्माण किया जा रहा है। यह राज गिद्ध (लाल सिर वाले गिद्धों) के संरक्षण एवं प्रजनन के लिए स्थापित दुनिया का पहला केन्द्र होगा। केन्द्र के लिए बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी और प्रदेश सरकार के बीच 15 वर्ष का समझौता हुआ है। योजना के लिए...
More »लैंडफिल से निकल रही है लाखों कारों के बराबर मीथेन, उपग्रह से चला पता
डाउन टू अर्थ, 11 अगस्त जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने के लिए मीथेन उत्सर्जन को कम करना बहुत जरूरी है। यह सर्वविदित है कि मीथेन (सीएच4) कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) की तुलना में ग्रीनहाउस गैस के रूप में लगभग तीस गुना अधिक शक्तिशाली है। इसलिए नीदरलैंड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के शोधकर्ता दुनिया भर में बड़े मीथेन रिसाव के बारे में पता लगा रहे हैं। ब्यूनस आयर्स के एक लैंडफिल में प्रति...
More »बांध से होने वाले फायदों के लिए क्यों चुकानी पड़ रही है भारी पर्यावरणीय कीमत
न्यूज़लॉन्ड्री, 11 अगस्त दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क के जैव विविधता संरक्षण के प्रबंधक स्टीफन मिड्ज़ी को लगता है कि नदियों को वैसा ही होना चाहिए जैसी नदियां होती हैं. मिड्ज़ी निर्बाध बहने वाली धाराओं, जो जलीय और स्थलीय जैव विविधता के लिए संपर्क के माध्यम का काम करती हैं, उनको प्राकृतिक स्थिति में रखने की वकालत करते हैं. लेकिन वह यह भी कहते हैं कि वह ‘बांध विरोधी व्यक्ति’...
More »पानी और साफ-सफाई
खास बात - भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 626 मिलियन है। यह संख्या 18 देशों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संयुक्त संख्या से ज्यादा है।# -ग्रामीण इलाकों में केवल २१ फीसदी आबादी के घरों में शौचालय की व्यवस्था है।* -पेयजल आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के हिसाब से कुल १,५०,७३४९ ग्रामीण मानव बस्तियों में से केवल ७४ फीसदी में पूरी तरह और १४ फीसदी में...
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