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जड़ों से पलायन की पीड़ा को समझिए- राजीव वोरा

तुलसी सिंह के गांव छोड़ने का दर्द मेरी ताजा बिहार यात्रा की भेंट है. बिहार के माओवादी कहलाते बांका जिले के चांदन प्रखंड स्थित फुलहरा गांव का तुलसी इलाके में हिंद स्वराज शिविरों-बैठकों में न केवल आगे बैठ हर बात को समझ कर नोट करता था, बल्कि अच्छे सवाल भी करता था. आम आदिवासियों की तरह निश्छल आंखें, ईमानदार, बुद्धिमान और सेवाभावी. मैंने उसमें वह तड़प देखी थी, जो अपने आसपास की बदहाली,...

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विश्व बैंक ने भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 4.7 प्रतिशत किया

नयी दिल्ली : विश्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 4.7 प्रतिशत कर दिया है. इससे पहले विश्व बैंक ने वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री (दक्षिण एशिया) मार्टिन रामा ने आज कहा, रपट (इंडिया डेवलपमेंट अपडेट) में मौजूदा वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2015...

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एक कदम आगे या एक कदम पीछे- संजय कुमार

राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति ; प्रारूप, ग्रामीण विकास मंत्रलय भारत सरकार के द्वारा सार्वजनिक बहस के लिए रखी गयी है. इस प्रारूप के शुरू में सरकार ने इस समस्या की गहराई को आंकड़ों के जरिये ही स्पष्ट रूप से यह सामने रखा है कि भारत जैसे देश में भूमि सुधीर का सवाल कितना अहम है. राष्ट्रीय प्रतिदर्श संगठन (एनएसएसओ के आंकड़ों 2003-04) के अनुसार करीब 41.63} परिवारों के पास घर के अलावा और...

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जरूरत रोजगार के अवसर बढ़ाने की- नयन चंदा

अपने देश के 80 करोड़ गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा मुहैया करवाने की शुरुआत भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस प्रकार की सामाजिक सुरक्षा   वाली लोक कल्याणकारी योजना शुरू करना नैतिक रूप से सराहनीय है, लेकिन आर्थिक नजरिए से यह समस्या पैदा करने वाली भी है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के लिए शुरू की गई  ऐसी योजना को  निरंतर बनाए रखने और उसके लिए पैसा जुटाने के लिए ...

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खनन से किसका हित, मिल कर सोचें- ।।किशन पटनायक।।

बिक्री लायक पदार्थो को ‘पण्य’(माल) कहा जाता है और उनके संग्रह को ‘संपत्ति’. आधुनिक समाज में संपत्ति को मूल्यों (रुपयों) में आंका जाता है. मैं अगर करोड़पति हूं, तो मेरी संपत्ति का मूल्य करोड़ों रुपयों में है. दुनिया में जितनी भी संपत्ति है, उनके मूल में हैं प्राकृतिक संसाधन. मेहनत, बुद्धि और मशीनों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों से विभिन्न पण्य वस्तुओं को बनाया जाता है. मशीनें भी खनिज धातु यानी प्राकृतिक...

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