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जमीन से जुड़े जरूरी सवाल : हर्ष मंदर

स्वतंत्रता के इतने सालों के बाद भी लाखों देशवासी और उनके संघर्ष हमारी नजरों से ओझल हैं। भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के कारण लाखों लोगों ने अनगिनत कष्ट सहे, लेकिन उनकी तकलीफों की कहानी कभी भी पूरी तरह सामने नहीं आई। ‘विकास’ की कीमत किसानों और खेतिहर श्रमिकों की अनेक पीढ़ियों को चुकानी पड़ी है। उन्हें बलपूर्वक अपनी धरती से बेदखल करने का अर्थ है अपने सबसे निर्धन अन्न उत्पादकों को सताना, ताकि...

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पारदर्शिता को लेकर ओबामा ने की भारत की सराहना

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उभरते एवं स्थापित लोकतांत्रिक देशों से आग्रह किया है कि उन्हें अपनी सरकारों को अधिक पारदर्शी बनाना चाहिए। इस संदर्भ में ओबामा ने भारतीय गांवों का उदाहरण दिया, जहां की आवाजें सूचना प्रौद्योगिकी के नए उपकरणों के माध्यम से ऊपर तक सुनी जा रही है। ओबामा ने कहा कि अमेरिका भी एक नया ऑनलाइन उपकरण लांच करेगा, जिसके माध्यम से अमेरिकी नागरिक अपनी...

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विकास का सही सूचक-अनिल प्रकाश जोशी

विश्व भर में आज की सबसे बड़ी पर्यावरणीय चर्चा का अहम हिस्सा विकसित एवं विकासशील देशों की बढ़ती सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर पर केंद्रित है। बेहतर जीडीपी का सीधा संबंध उद्योगों की अप्रत्याशित वृद्धि के साथ ही बढ़ती ऊर्जा की खपत से है, जिसका पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ा है। ऐसे विकास का सीधा प्रभाव आदमी की जीवनशैली पर पड़ता है। कार, एसी व अन्य वस्तुएं ऊर्जा की...

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शिक्षा पर गंभीर सवाल- निरंजन कुमार

अरस्तू ने कहा था कि नेतृत्व के खराब कमरें और अदूरदर्शिता का खामियाजा बिना किसी गलती के भी आम जनता को भुगतना पड़ता है। आज यह बात पूरे भारत पर लागू होती दिख रही है-खासकर शिक्षा के क्षेत्र में। झारखंड का एक ताजा मामला इसका प्रमाण भी है।?सचमुच झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद विकास का अभाव, भ्रष्टाचार, माओवाद आदि के बीच झारखंड की सरकार और शासन-व्यवस्था ने राज्य...

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अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत

विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...

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