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मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण

मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण सरकार की वेबसाइटों पर हिंदी की घोर उपेक्षा दिखाई देती है। हिंदी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग व संस्थान के साथ संसद की वेबसाइटों के एक सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि सरकार को हिंदी की कतई परवाह नहीं हैं। सर्वेक्षण में शामिल वेबसाइटों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि हिंदी भाषियों के एक भी मुकम्मल सरकारी वेबसाइट...

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एक मूर्खता से उठी आंधी- एम जे अकबर

सार्वजनिक जीवन में कौन-सा अपराध बड़ा है, भ्रष्टाचार या मूर्खता? इस सवाल का जवाब देने के लिए आप समय ले सकते हैं. अगर भ्रष्टाचार राजनीतिक मृत्युदंड होता, तो यूपीए कैबिनेट का अधिकांश हिस्सा 2009 के चुनावों में जीत हासिल नहीं करता. संभवत: भ्रष्टाचार का आकलन उसके फैलाव से किया जाता है. जब भ्रष्टाचार का स्नेहक बड़ी लूट में तब्दील हो जाता है, तब वोटर तय करता है कि अब बहुत हो...

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'आईस्क्रीम खरीद सकते हैं, आटे-चावल में एक रुपए की वृद्धि बर्दाश्त नहीं'

गृह मंत्री पी चिदंबरम एक बार फिर विवादित बयान देकर चर्चा में आ गए हैं. उन्होंने कहा है कि ‘भारत के मध्यम वर्ग के लोग महंगी आइस क्रीम खाते हैं, 15 रुपए की मिनरल वॉटर की बोतल खरीदते हैं, पर गेहूं-चावल के दामों में एक रुपए की वृद्धि बर्दाश्त नहीं करते.' चिदंबरम मंगलवार को बंगलौर में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे जब उन्होंने ये बयान दिया. उनके इस बयान...

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महँगाई के कारण बैंक दर घटाना कठिनः रंगराजन

भारतीय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने कहा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के लिए मुद्रास्फ़ीति की स्थिति को देखते हुए अभी बैंक दरों में कटौती करना मुश्किल हो सकता है. इससे जुड़ी ख़बरें उन्होंने दिल्ली में एक आयोजन स्थल पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि यदि मुद्रास्फ़ीति, और ख़ासतौर पर ग़ैर-खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फ़ीति घटती है, तो रिज़र्व बैंक कुछ आसान...

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समूचा झारखंड बुधनी है, पर वह कहां है किसी को पता नहीं!- अश्विनी कुमार पंकज

बारह वर्षों के झारखंड में आज अगर हूल की प्रासंगिकता समझनी हो तो बुधनी को जानना जरूरी है। हालांकि सांस्कृतिक अतिक्रमण और हमले से गुजर रहे आज के झारखंड में अब ‘बुधनी’ जैसे ठेठ आदिवासी नाम नहीं मिलते हैं फिर भी रजनी, रोजालिया, रजिया जैसे नामों वाली आदिवासी स्त्रियां रोज ‘बुधनी’ बनने के लिए अभिशप्त हैं। कौन है यह बुधनी और ‘हूल’ के संदर्भ में उसकी चर्चा क्यों जरूरी है?...

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