विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...
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उत्तराखंड की कृषि विकास दर ऋणात्मक
देहरादून। वर्ष 2008-09 में उत्तराखंड की कृषि विकास दर ऋणात्मक रही है। इसकी प्रमुख वजह सूखा और तकनीकी सुधार में खामी को बताया जा रहा है। आने वाले दो वर्षो में वर्षा की स्थिति पर राज्य की कृषि विकास दर निर्भर करेगी। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के मध्यवर्ती मूल्यांकन में ये तथ्य सामने आए हैं। मूल्यांकन में बताया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर दसवीं पंचवर्षीय योजना में कृषि के...
More »हरियाणा और पंजाब से लेना होगा सबक
चंडीगढ़ [भारत डोगरा]। आज से चार-पांच दशक पहले हरित क्रांति के नाम पर भारतीय कृषि में बड़े बदलाव हुए तो इनका सबसे बड़ा केंद्र पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ पट्टी को बताया गया, जहां पानी की भी कोई कमी नहीं थी। इस क्षेत्र को भारत के खाद्यान्न कटोरे के रूप में विकसित करने पर बहुत निवेश हुआ और सिंचाई, रासायनिक खाद आदि व इनसे जुड़ी सब्सिडी का अधिकांश खर्च...
More »बारिश न होने से अन्न उत्पादक राज्यों पर संकट
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। देश के प्रमुख अन्न उत्पादक राज्यों में मानसून की देरी से संकट के बादल फिर मंडरा रहे हैं। जून का महीना इस क्षेत्र में खेती के लिए खराब साबित हुआ। इस दौरान इतनी बारिश नहीं हुई कि किसान हल चलाने निकल पड़ता। धान, सोयाबीन और मोटे अनाज की खेती वाले प्रमुख अन्न उत्पादक सात राज्यों में जून में 22 से 82 फीसदी तक कम...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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