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कोरोना के दौर में घुमंतू समुदाय

-डाउन टू अर्थ, कोरोनावायरस के फैलाव को कम करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने पहले से बदहाल घुमंतू समुदाय की कमर तोड़कर रख दी है। पशुधन पर आश्रित ये समुदाय अब अपने पशुओं को खिलाने की स्थिति में नहीं है। राइका रैबारी समुदाय ने अपने ऊंटों को खुला छोड़ दिया है। भेड़-बकरी पालक भी हताश हैं। मार्च और अप्रैल में लगे लॉकडाउन ने इन घुमंतुओं को एक स्थान रुकने को...

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भारतीय हॉकी टीम पर कोरोना का कहर, कप्तान मनप्रीत समेत 5 खिलाड़ी कोविड-19 पॉजिटिव

-आउटलुक, भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह समेत पांच खिलाड़ियों को बेंगलुरु में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के राष्ट्रीय खेल उत्कृष्टता केंद्र में राष्ट्रीय हॉकी शिविर में रिपोर्ट करने के बाद कोविड-19 जांच में पॉजिटिव पाया गया। ये खिलाड़ी घर पर ब्रेक के बाद टीम के साथ शिविर के लिए पहुंचे थे। बाद में पता चला कि गोलकीपर कृष्णा बी पाठक भी कोरोना जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं। उनकी...

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प्रेमचंद 140 : जीवन के प्रति दहकती आस्था

-सत्यहिंदी, प्रेमचंद को लेकर साहित्यवालों में कई बार दुविधा देखी जाती है। उनका साहित्य प्रासंगिक तो है लेकिन क्यों? क्या ‘गोदान’ इसलिए प्रासंगिक है कि भारत में अब तक किसान आत्महत्या कर रहे हैं? या दलितों पर अत्याचार अभी भी जारी है, इसलिए ‘सद्गति’ और ‘ठाकुर का कुआँ’ प्रासंगिक है? क्या ‘रंगभूमि’ इसलिए पढ़ने योग्य बनी हुई है कि किसानों की ज़मीन कारखाने बनाने के लिए या ‘विकास’ के लिए अभी...

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दिल्लीः यमुना में फिर घुला कैमिकलयुक्त ज़हर, एनजीटी सख्त

-वाटर पोर्टल, यमुना नदी दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार है, लेकिन लाॅकडाउन के दौरान अप्रैल में कई दशकों बाद दिल्ली में यमुना का पानी आश्चर्यजनक तरीके से साफ हो गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की टीम ने 6 अप्रैल को यमुना में पल्ला गांव, निजामुद्दीन पुल और ओखला बैराज से पानी के सैंपल लिए थे। रिपोर्ट के अनुसार पल्ला गांव में पीएच लेवल 8.7 से घटकर 7.8...

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पहाड़ को जल संकट से उबारने में जुटे चंदन

-वाटर पोर्टल, उत्तराखंड़ का भौगोलिक और पौराणिक महत्व किसी भी अन्य क्षेत्र की अपेक्षा कईं ज्यादा अलौकिक और वृहद है। उत्तराखंड़ के संदर्भ में कहा जाता है कि ‘पहाड़ की जवानी पहाड़ के किसी काम नहीं आती। वो तो रोजगार की तलाश में मैदानों में चली जाती है। पहाड़ों पर तो बचते हैं, बूढ़े मां-बाप और बच्चे।’ जो लोग बचे हैं, वें चौड़ी पत्ती वाले जंगलों के कम होने से हर साल जल...

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