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असम में पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदे (EIA 2020) का विरोध, बाघजान और डेहिंग पटकई से सीख लेने की अपील

-गांव कनेक्शन, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी ड्राफ्टविवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना (ईआईए,2020) को एंटी-नॉर्थइस्ट (पूर्वोत्तर विरोधी) कहा जा रहा है। वैसे तो ईआईए में संशोधित प्रस्तावाओं का देशभर में विरोध हो रहा है, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ईआईए के अपने निहितार्थ है। असम और ड्राफ्ट ईआईए 2020 1984 भोपाल गैस त्रासदी के बाद 1986 में पहली बार भारत में पर्यावरण संरक्षण कानून बनाया गया था। इसी कानून के तहत...

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क्यों रफाल सौदे पर उठने वाले सवालों को सिर्फ विपक्ष की राजनीति बता देना सही नहीं है

-सत्याग्रह, अक्टूबर 1953 में फ्रांस से चार लड़ाकू विमानों ने भारत के लिए उड़ान भरी थी. इन्हें बनाने वाली कंपनी ने इनका नाम ऊरागां रखा था जिसका हिंदी में अर्थ होता है तूफान. इन विमानों को भारतीय वायु सेना में शामिल होना था. एक पखवाड़े का सफर तय करते हुए चारों विमान भारत पहुंच गए. भारतीय वायु सेना ने इन्हें नाम दिया - तूफानी. 67 साल बाद बीते दिनों यह कहानी कमोबेश...

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जांच में फर्जीवाड़ा?

-इंडिया टूडे, दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों की जांच ने इस सप्ताह नया मोड़ ले लिया जब दिल्ली सरकार और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की तथ्यान्वेषी रिपोर्ट, में दिल्ली पुलिस पर जांच में 'पक्षपात' और हिंसा में 'लिप्तता' का आरोप लगाया. रिपोर्ट को नौ सदस्यों के पैनल ने तैयार किया है जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के वकील एम.आर. शमशाद कर रहे थे. यह दंगों पर अधिकृत किसी एजेंसी की...

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कोविड-19: उत्तर प्रदेश में लक्ष्य से कम हो पा रही जांच, तेज़ी से बढ़ रहे मामले

-द वायर, उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के केस बीते एक महीने से तेजी से बढ़े हैं और अब यह आंकड़ा एक लाख पार कर गया है. बड़े महानगरों के साथ-साथ अब छोटे जिलों में भी तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है. प्रदेश में अब नौ ऐसे जिले हो गए हैं, जहां कोविड-19 केस दो हजार से अधिक हो गए हैं. चार जिलों में कोराना संक्रमण के मामले पांच हजार से अधिक हैं. प्रदेश...

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जम्मू-कश्मीर की राजनीति में इतना सन्नाटा पहले कभी नहीं था

-बीबीसी, पिछले साल 5 अगस्त की सुबह जब ये घोषणा हुई कि कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है तो कश्मीर में एक राजनीतिक भूकंप महसूस किया गया. अलगावादियों को पहले ही क़ैद किया जा चुका था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने वाली पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी जेलों या घरों में नज़रबंद कर दिया गया. एक साल बीत जाने के बाद भी कोई राजनीतिक गतिविधि दिखाई नहीं देती. पर्यवेक्षक...

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