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दलित विमर्श का हाशिए पर जाना-- बद्रीनारायण

स बार के संसदीय चुनाव में दलित विमर्श हाशिए पर जाता दिख रहा है। एक तो राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में दलित समाज को वंचित श्रेणी में रखकर महिलाओं और अन्य वंचित-शोषित समुदायों के साथ ही प्रस्तुत किया जा रहा है। लिखित और प्रकाशित घोषणापत्रों व प्रचार सामग्रियों में ‘दलित' शब्द की जगह ‘अनुसूचित जाति' और ‘वंचित' जैसे शब्द आने लगे हैं। दलितों के लिए भी अन्य के साथ कुछ...

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चुनाव के मौसम में ताजा हो उठा उत्तर प्रदेश की समूची गन्ना पट्टी के किसानों का दर्द

बागपत/कैराना: समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने से लदे ट्रक मिलों में जाने की बाट जोह रहे हैं. हालांकि ट्रकों में लदे ये मीठे रसीले गन्ने बकाया भुगतान नहीं होने और कम कीमत अदायगी की मार से परेशान गन्ना किसानों की कड़वी कहानी बयां करते हैं. देश के चीनी के कटोरे के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह समूचा इलाका चुनाव प्रचार के इस मौसम में पोस्टरों, झंडों, रैलियों...

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अनसुनी रह जाती है जिनकी आवाज-- बद्रीनारायण

जनतंत्र में कुछ आवाजें हैं, जो ज्यादा सुनाई देती हैं। महानगर और शहर के बड़े तबके की आवाज तो जनतांत्रिक विमर्श में सुनी ही जाती है, कस्बों, राजमार्गों और मुख्य सड़कों के किनारे के गांवों की आवाज भी कई बार इसमें दर्ज हो जाती है। लेकिन जो अंतरे-कोने में पडे़ हैं, जो नदियों के किनारे के गांव हैं, जो दियारे में बसे गांव हैं, जो पहाड़ों की तलहटियों में और...

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उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का 10,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का बकाया 10,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. इस बकाया का 45 फीसदी से अधिक उन आठ में से छह निर्वाचन क्षेत्रों के किसानों का है, जहां 11 अप्रैल को पहले चरण का लोकसभा चुनाव हो रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक,लखनऊ में गन्ना आयुक्त कार्यालय द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के अनुसार मौजूदा 2018-19 पेराई सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान...

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जलवायु परिवर्तन के दायरे में दुग्ध उत्पादन भी, नहीं संभले तो अगले साल तक दिखने लगेगा असर

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लोबल वार्मिंग के भारत में असर और चुनौतियों के दायरे में फल और सब्जियों ही नहीं बल्कि दुग्ध भी हैं. जलवायु परिवर्तन के भारतीय कृषि पर प्रभाव संबंधी अध्ययन पर आधारित कृषि मंत्रालय की आंकलन रिपोर्ट के अनुसार अगर तुरंत नहीं संभले तो इसका असर 2020 तक 1.6 मीट्रिक टन दूध उत्पादन में कमी के रूप में दिखेगा. रिपोर्ट में चावल समेत कई फसलों के...

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