यूरोप की अर्थव्यवस्था दूसरे विश्वयुद्व के बाद पूरी तरह लड़खड़ा गई थी और उस समय उद्योग को मूलमंत्र मानकर विकास की रूपरेखा तैयार की गई। इसी समय विकास की दिशा में दो बड़े परिवर्तन हुए। पहला विकास की परिभाषा गढ़ी गई, जिसका मतलब सीधा-सा यह था कि उद्योग और उससे जुड़े तमाम आगे-पीछे के आयामों को ही विकास मान लिया जाए। दूसरा इसी के बाद भोगवादी सभ्यता का तेजी से...
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हम जाति का ज़हर फिर क्यों पिएं?- वेद प्रताप वैदिक
मुझे आश्चर्य है कि भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल ने ऐसा राष्ट्र-विरोधी निर्णय कैसे कर लिया? जातीय जनगणना को कांग्रेस सरकार ने अधबीच में बंद कर दिया था, लेकिन इस गणना के जो भी अधकचरे आंकड़े इकट्ठे हुए हैं, सरकार उन्हें प्रकट करने के लिए तैयार हो गई है। वह इन्हें अगले साल तक प्रकाशित करेगी। तब तक राज्य-सरकारों की रपट भी उसके पास आ जाएगी और जो आंकड़े उसके पास...
More »ग्रीस मॉडल पर भारी हमारा एक छोटा-सा राज्य - सईद नकवी
हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार में पहले पन्ने पर छपी एक तस्वीर ने मेरा ध्यान खींचा। उसमें अगरतला में एक इंटरनेट गेटवे के शुभारंभ अवसर पर केंद्रीय संचार एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद को त्रिपुरा के कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री माणिक सरकार के साथ गर्मजोशी से हाथ मिलाते दिखाया गया था। इस तस्वीर के साथ अखबार हमें सूचित कर रहा था कि अपराध-नियंत्रण के मामले में त्रिपुरा का रिकॉर्ड लाजवाब रहा...
More »लखीमपुर में मिड-डे मील का दूध पीकर 17 बच्चे बीमार, तीन निलंबित
लखनऊ। लखीमपुर के एक प्राइमरी स्कूल में मिड-डे मील में मिला दूध पीने से 17 बच्चे बीमार हो गए। इस घटना से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने आनन-फानन में बच्चों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया।इस घटना की खबर मिलने पर डीएम किंजल सिंह पसगवां के मड़वा स्कूल पहुंच रही हैं। यहां सरकारी दूध पीकर 30 से ज्यादा बच्चे बीमार हुए थे। इस मामले के बाद...
More »12 साल से पेड़ के नीचे चल रहा स्कूल
चतरा : सदर प्रखंड के खाचा ढाबर स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पिछले 12 वर्ष से एक पेड़ के नीचे चल रहा है. वर्ष 2003 में स्थापित स्कूल का अपना भवन नहीं है. स्कूल में कुल 86 बच्चे पढ़ते हैं. सभीं पेड़ के नीचे बैठ कर पढ़ाई कर रहे हैं. बरसात में स्कूल में छुट्टी कर दी जाती है. वर्ष 2007-08 में झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा भवन निर्माण के लिए 4.5...
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