दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...
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नोटबंदी से सामने आया उच्च और मध्य वर्ग का भ्रष्टाचार
नोटबंदी का परिणाम सही है या गलत, इसका उत्तर आने वाला समय देगा. मगर, अभी जो दिख रहा है कि एक तरफ दो हजार और पांच हजार की निकासी के लिए देशभर में लोग एटीएम और बैंकों की कतारों में घंटों खड़े रहने के लिए मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ लाखों-करोड़ों की नकदी बैंकों, नेताओं, व्यापारियों एवं अन्य पेशेवरों के पास से पकड़ी जा रही है. यह स्थिति संस्थागत...
More »सहकारी संघवाद चलाना मुश्किल -- संदीप मानुधने
आज के राजनीतिक विवादों (विशेषकर नोटबंदी के बाद के संघर्ष) को देखें, तो सवाल उठता है कि भारत संघात्मक है या एकात्मक? इसका विश्लेषण इतिहास, संविधान और आर्थिक वास्तविकताओं को समझने से हो सकेगा. सहयोगी संघवाद (कोआॅपरेटिव फेडेरलिज्म) वह दृष्टिकोण है, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य सरकारें साझा समस्याओं को सुलझाने के लिए परस्पर सहयोग करती हैं. इसके सफल परिचालन के लिए शक्तियों का एक संघीय संतुलन निर्मित करना...
More »ज्यादातर गरीबों के पास अपने घर, अमीर रहते किराये के मकानों में
अगर आप घर को संपन्नता का प्रतीक मानते हैं, तो अपनी सोच बदलें। हमारे देश में अमीरों की तुलना में ज्यादा संख्या में गरीब अपने मकानों में रहते हैं। जबकि संपन्न वर्ग का एक बड़ा हिस्सा किराये के मकान में रहता है। पीपुल रिसर्च ऑन इंडियन कंज्यूमर इकोनॉमी के राष्ट्रीय सर्वे में यह दावा किया गया है। हालांकि भारत के उलट विकसित देशों में ज्यादा पैसे वाले लोग अपने घरों में...
More »नोटबंदी के सामयिक सबक-- पवन के वर्मा
आठ नवंबर को 500 तथा 1000 रुपये के नोटों का चलन रातोंरात रोकने की घोषणा नीयत तथा क्रियान्वयन के पारस्परिक संबंध का मौलिक मुद्दा उजागर करती है. क्या किसी क्रिया के पीछे की सराहनीय मंशा उसके नकारा क्रियान्वयन को माफ कर देने की वाजिब वजह हो सकती है? अथवा, क्या क्रियान्वयन की खामियां उस मंशा का मूल्य ही कम कर देती हैं? विचार तथा क्रिया के बीच का यही द्वंद्व...
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