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खिल उठा पर्यावरण हवा-पानी हुआ शुद्घ

-इंडिया टूडे,   वातावरण ऐसे खिल उठा है, मानो लॉकडाउन उसके लिए वरदान बनकर आया. यकीनन, कोरोना वायरस के प्रकोप की रोकथाम के लिए 24 मार्च से लागू लॉकडाउन गरीब-गुरबों और प्रवासी मजदूरों के लिए आफत बनकर आया है लेकिन इसका एक नतीजा हर तरह के प्रदूषण में भारी कमी के रूप में दिख रहा है. वाकई, यह सुखद एहसास पैदा करता है. मानो प्रकृति अपने मूल स्वरूप में लौट गई है....

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कोविड-19 लॉकडाउन में बढ़ती समाचारों की खपत, गलत सूचनाओं का मकड़जाल और साइबर लूट

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लोग देश और दुनिया की ताजा सूचनाओं के लिए टीवी मीडिया और इंटरनेट का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. टीवी मीडिया और इंटरनेट की खपत में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. टेलीविज़न मॉनिटरिंग एजेंसी BARC (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन की अवधि में टीवी पर समाचारों की खपत 298% बढ़ी है. इसके...

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कोविड-19: मानसिक स्वास्थ्य को ले कर वैश्विक चिंता के बीच भारत के हालात?

-डाउन टू अर्थ, हाल ही में लैंसेंट साइकियाट्री जर्नल में मानसिक स्वास्थ्य को ले कर एक रिपोर्ट छपी है. यूनिवर्सिटी के साइकियाट्री डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर इड बुलमोर और उनकी टीम ने इंग्लैंड में कोविड-19 संक्रमण के बीच आयोजित एक सर्वे के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया है। बुलमोर कहते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यही है कि अभी और भविष्य में भी कोरोना महामारी का मानसिक स्वास्थ्य पर...

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कोविड-19 : और क्या होगा न्यू नॉर्मल

-डाउन टू अर्थ, मैं बिना किसी संशय के कह सकती हूं कि कोविड-19 हमारे जीवनकाल की सबसे अधिक घातक एवं विनाशकारी घटना है और यह हमारे समाज की परिभाषा बदलकर रख देने की क्षमता रखता है। मेरी जानकारी में ऐसी कोई दूसरी महामारी नहीं है जो इतनी तेजी से फैली हो। वर्ष 2019 के दिसंबर के अंत में चीन में कोविड-19 का पहला केस पाया गया और आज अप्रैल 2020 के...

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लॉकडाउन में फंसे मधुमक्खी पालक, भूख और गर्मी से मर रहीं हैं मधुमक्खियां

-गांव कनेक्शन, कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से हम और आप ही नहीं मधुमक्खियां भी अपने घरों (बॉक्स) में कैद होकर रह गई हैं। ज्यादातर मधुमक्खियों के लिए ये माइग्रेशन (एक जगह से दूसरी जगह जाने) का टाइम था। जिसके चलते करोड़ों मधुमक्खियां मरने के कगार पर पहुंच गई हैं। अगर ये मधुमक्खियां सही समय पर अपने अनुकूल भोजन और जलवायु इलाके में न पहुंची तो तो न सिर्फ भारत में...

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