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‘सीआईसी के आदेश के बाद भी बैंक चंदा देने वालों के नाम छुपा रहे हैं, यानी कुछ गड़बड़झाला है’

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने उन लोगों के नाम बताने से इनकार कर दिया है जिन्होंने चुनावी बॉन्ड स्कीम के तहत अब तक इलेक्शन में चंदा देने के लिये एक करोड़ मूल्य वर्ग (डिनॉमिनेशन) वाले बॉन्ड खरीदे. महत्वपूर्ण है कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने दो दिन पहले ही केंद्र सरकार से यह बताने को कहा था कि किसने चुनावी बॉन्ड स्कीम में दानकर्ता की गोपनीयता की मांग की...

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कोयला बिजलीघर अब भी उगल रहे ज़हरीला धुंआं

दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण से भले ही लोगों का हाल बेहाल हो लेकिन कोयला बिजलीघर हानिकारक SO2 यानी सल्फ़र डाई ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन रोकने की समय सीमा का पालन करने में एक बार फिर फेल हो गये हैं. सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा में सल्फर नियंत्रक टेक्नोलॉजी लगाने में नाकाम रही बिजली कंपनियों ने अब कहा है कि उन्हें यह लक्ष्य हासिल करने के लिये करीब 3...

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पिछले पांच साल में गोद लिए गए 1100 से अधिक बच्चे बाल देखभाल संस्थाओं में लौटे: रिपोर्ट

बाल दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) ने बताया कि देशभर में 1100 से अधिक गोद लिए गए बच्चे पिछले पांच साल में बाल देखभाल संस्थाओं में वापस आए हैं. कारा के एक अधिकारी ने बताया कि अधिकतर बच्चे, खासकर आठ साल से अधिक आयु के बच्चे गोद लेने वाले अभिभावकों के घर के माहौल के अनुसार ढल नहीं पाने के कारण लौट आए. आरटीआई के जरिए मिली सूचना के अनुसार 2014-15 में...

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आप्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या को लेकर फैलाए गए भ्रमों और तथ्यहीन कुतर्कों को खारिज करते आंकड़ें

विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्रोतों के आंकड़ें आप्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या को लेकर फैलाए गए भ्रमों और तथ्यहीन कुतर्कों को खारिज करते हैं.   अनेकों मीडिया रिपोर्टें यह खुलासा करती हैं कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRIC), जिसे देशभर में लागू किए जाने की उम्मीद है, के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में डिटेनशन सेंटर बनाए जा रहे हैं. हालांकि मीडिया के सामने सरकार एनआरसी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के बीच किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार कर रही है,...

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NRC को पूंजीवादी दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए

एनआरसी को अभी तक सिर्फ़ कम्युनल और संवैधानिक दृष्टि से ही देखा गया है। एनआरसी पूंजीवादी के कितना काम आ सकता है, किस तरह काम आ सकता है इस पर भी एक नज़र डाल लेना चाहिए। क्योकि पूंजीवादी जब फासीवाद को अपना हथियार बना लेता है तो दमन और क्रूरता के सारे पुराने मापदंड टूट जाते हैं।इसे समझना हो तोलोकल इंटेलिंजेंस यूनिट के हवाले से लिखी गई अमर उजाला की...

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