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‘एक तिहाई भारतीय महिलायें और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे कमजोर’

यी दिल्ली: वैश्विक शोध संस्था आईएफपीआरआई ने आज कहा कि एक तिहाई भारतीय महिलायें और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे सामान्य से काफी कम वजन के हैं हालांकि भारत ने कुपोषण से लडने की दिशा में प्रगति की है. अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान :आईएफपीआरआई: ने यह सुझाव भी दिया है कि भारत की केंद्र और राज्य सरकारों को इन निराशाजनक आंकडों से लडने के लिए भूख से निपटने...

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एफिडेविट बनाने में हर वर्ष खर्च होते हैं 8000 करोड़ रुपए

नई दिल्ली। यह देखते हुए कि हम भारतीय हर वर्ष करीब आठ हजार करोड़ रुपए शपथ-पत्र बनवाने पर खर्च कर देते हैं, केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों और राज्य सरकारों को सरकारी कामों के लिए दस्तावेजों के स्व-प्रमाणन (सेल्फ अटेस्टेशन) को बढ़ावा देने को कहा है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों से वर्तमान में आवश्यक शपथ-पत्रों और विभिन्न आवेदनों के साथ लगने वाले दस्तावेजों के राजपत्रित अधिकारी...

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विकास के कई मानकों में दुनिया से बहुत पीछे हैं हम

नितिन प्रधान, नई दिल्ली। आर्थिक विकास की ऊंची दर को लेकर भले ही हमारी उम्मीदें बहुत अधिक हों, लेकिन सामाजिक-आर्थिक विकास के मानकों में आज भी भारत की स्थिति बेहद खराब है। खासतौर पर पुरुषों के मुकाबले कामकाजी महिलाओं के अनुपात के मामले में हम दुनिया के कई छोटे देशों से भी पीछे हैं। लोगों को उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में तो भारत की स्थिति बेहद दयनीय है। वर्ल्ड इकोनॉमिक...

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दिल्ली में विकलांगों के लिए नहीं हैं जनसुविधाएं...!

राष्ट्रीय राजधानी में करीब 25 लाख लोग विकलांग हैं और शहर में शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए 100 सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं, जिनमें से अधिकांश या तो काम नहीं कर रहे हैं या उसे अस्थायी स्टोरहाउस के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह जानकारी एक सर्वेक्षण में सामने आई। विकलांगों के लिए काम करने वाली एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) सामर्थ्यम ने यह सर्वेक्षण किया है।...

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साठ साल लग सकते हैं आरटीआई की अर्जी के जवाब में-- नई रिपोर्ट

अगर आरटीआई की आपकी अर्जी मध्यप्रदेश सूचना आयोग में लंबित है तो फिर आपका धीरज पहाड़ जैसा होना चाहिए ! मामलों के निस्तारण की मौजूदा दर के हिसाब से प्रदेश के आयोग को आपकी अर्जी का निबटारा करने में साठ साल लग जाएंगे। और, अगर आपकी अर्जी विचार के लिए पश्चिम बंगाल के सूचना आयोग के लिए पड़ी है तो फिर आयोग की कछुआ चाल को देखते हुए कहा जा सकता...

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