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भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का नया हथियार- आर के नीरद

मित्रो, सत्येंद्रनाथ दुबे और बिहार-झारखंड के नौ आरटीआइ एक्टिविस्टों की शहादत का सटीक नतीजा सामने आने वाला है. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए आरटीआइ एक्टिविस्ट के बाद अब ह्विसिल ब्लोअरों की टीम तैयार होने वाली है. इसमें सरकारी और गैर सरकार दोनों लोग होंगे. ह्विसिल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल को संसद की मंजूरी मिलने के बाद अब राष्ट्रपति की भी स्वीकृति मिल गयी है. यह सिविल सोसाइटी के लिए सरकारी तंत्र में...

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सफलता 100 फीसद : शहर पर भारी गांव की सरकारी तालीम

इंदौर। माध्यमिक शिक्षा मंडल के हाईस्कूल में गांव के 13 सरकारी स्कूलों के करीब 350 विद्यार्थियों ने मिलकर शहर के 130 स्कूलों के 15 हजार बच्चों को पछाड़ दिया। बोर्ड नतीजों के विश्लेषण में सामने आया कि गांव में अभावों के बीच विद्यार्थियों ने अपनी काबिलियत को साबित किया और शिक्षा विभाग की नाक रख ली। जिन गांवों के बच्चों ने यह कमाल दिखाया है उनके ग्रामीण स्कूलों के रिजल्ट...

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झारखंड में मानव तस्करी और पलायन बड़ी समस्या

रांची: कैंपेन फॉर राइट टू एजुकेशन इन झारखंड और चाइल्ड रिलीफ एंड यू द्वारा झारखंड में बाल तस्करी की रोकथाम विषय पर राज्यस्तरीय परामर्श का आयोजन एसडीसी में किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सीआइडी आइजी संपत मीणा ने कहा कि राज्य में महिलाओं और बच्चों का पलायन और ट्रैफिंकिंग बड़ी समस्या है़.  इससे बचने के लिए जागरूकता जरूरी है़  रोजगार के लिए गांव से बाहर जाने वालों का...

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झारखंड: सरायकेला में मिला यूरेनियम का नया भंडार

जमशेदपुर : देश को परमाणु क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहे यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसील) ने सरायकेला में यूरेनियम के नये भंडार का पता लगाया है. यूसील ने उत्खनन के लिए सरायकेला-खरसावां के खनन कार्यालय के जरिये राज्य सरकार से अनुमति मांगी है. यूसील के अनुसार, सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के माहुलडीह इलाके में यूरेनियम का भंडार है. इस इलाके में उत्खनन किया जाना है. यहां...

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प्रवीर चंद्र भंजदेव : अा‌‌दिवासी आंदोलन- पवन वर्मा

आदिवासियों की दशा समझने और सुधारने के लिए आजादी के बाद कई समितियां बनी हैं इनमें पहली मानवशास्त्री वेरियर एल्विन की अध्क्षता में बनी थी. और पहला आयोग कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष यूएन धेबर की अध्यक्षता में 1960 में बना. लेकिन शुरुआत में ही ये प्रयास खोखले साबित होने लगे. इसका नतीजा यह रहा कि 1960-70 के दशक के दौरान बस्तर में आदिवासी आंदोलन में भारी उभार देखा गया. इसका नेतृत्व बस्तर...

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