नई दिल्ली [अरविंद जयतिलक]। बेशक देश में महिलाएं सफलता का इतिहास रच रही हैं। अपने बुलंद हौसले से उन कार्यो को भी अंजाम तक पहुंचा रही हैं, जो सदियों से उनके लिए असंभव बताया जाता रहा है। बात चाहे देश में सरकार को नेतृत्व देने का हो अथवा सेवा क्षेत्र में मिसाल कायम करने की, आज वह हर कहीं पुरुषों से कंधा मिला रही हैं, लेकिन इन सबके बावजूद दुखद स्थिति यह है कि बुनियादी स्वास्थ्य...
More »SEARCH RESULT
स्वस्थ पर्यावरण के लिए धरहरा की परंपरा का अनुकरण करें : नीतीश
भागलपुर। जहां चारो तरफ अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है, वहीं धरहरा गांव में सामुदायिक प्रयत्न से पेड़ लगाए जा रहे हैं। यह ऐसा गांव है जहां लोग कन्या पैदा होने पर खुशी मनाते हैं और उनके नाम पर दस फलदार पेड़ लगाते हैं। स्वस्थ पर्यावरण के लिए धरहरा की परंपरा का अनुकरण पूरे सूबे के लोगों को करना चाहिए। यह बातें रविवार को नवगछिया अनुमंडल के धरहरा गांव में आयोजित सभा को संबोधित...
More »आदिवासी परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन मुफ्त
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। जमाने से खाना पकाने के लिए जंगल की लकड़ियों पर निर्भर रहने वाले आदिवासी परिवार भी अब एलपीजी पर खाना पकाने लगेंगे। आदिवासी इलाकों में रसोई गैस पहुंचाने की एक विशेष स्कीम शुरू करने की योजना है। योजना का प्रारूप पेट्रोलियम मंत्रालय और जनजाति कार्य मंत्रालय संयुक्त तौर पर तैयार कर रहे हैं। योजना के पहले चरण में जिन इलाकों में जनजाति समुदाय की जनसंख्या ज्यादा है, वहां रसोई गैस पहुंचाने की...
More »12 घंटे बिजली मिलेगी बुनकरों को : नीतीश
भागलपुर। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को सिल्क सिटी में आयोजित बुनकर पंचायत में बुनकरों को 12 घंटे बिजली देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि बिहार की तरक्की में बुनकरों का भी योगदान है। मुख्यमंत्री ने नवगछिया अनुमंडल के धरहरा गांव में आयोजित सभा में यह घोषणा की कि विजय घाट में कोसी नदी पर जल्द ही पुल का निर्माण होगा। मुख्यमंत्री ने यहां करोड़ों की लागत से विकास योजनाओं का उद्घाटन किया। ...
More »सुबह के इस दौर में भी छूट रहीं बच्चियां
पटना [जागरण टीम]। सरकारी प्रयास शुरुआती दौर पर रंग तो ला चुके हैं, लेकिन मैट्रिक के बाद की पढ़ाई-लिखाई के हलके में राज्य की ज्यादातर बच्चियों के लिए अपना वजूद बनाए रख पाना आज भी बहुत मुश्किल हो रहा है। 21वीं शताब्दी के 10 साल गुजरने के बाद भी शैक्षणिक संस्थानों की कमी और बुनियादी सुविधाओं की किल्लत ने उन्हें मैट्रिक की बाद की पढ़ाई के मद्देनजर तकरीबन 30 साल पीछे ही छोड़ रखा है। ...
More »