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'तो गाँव की हर औरत लखपति होती..'

जॉर्ज मोनबाएट ने कहा है कि अगर धन कठिन परिश्रम और व्यवहार कुशलता का परिणाम होता तो अफ्रीका की प्रत्येक महिला लखपति होती. भारत की अर्थव्यवस्था में गांवों की अहम भूमिका है और गांवों की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका पुरुषों से ज़्यादा है. यानी ग्रामीण महिलाएं भारत की अर्थव्यवस्था की धुरी हैं, लेकिन उनकी मुश्किलों की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता. न ही समाज का और न ही सरकार का. उनकी...

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मध्‍यप्रदेश में राजपुरा की राह पर चलेंगे 56 गांव

धार/अमझेरा(मध्‍यप्रदेश)। सरदारपुर विकासखंड का राजपुरा ग्राम जिले के 56 गांवों को विकास की नई राह दिखाएगा। जैविक खेती के प्रति अपने रुझान के कारण राजपुरा के लोग इन दिनों चर्चा में हैं। अब कृषि विभाग भी जैविक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए राजपुरा को मॉडल के रूप में प्रदर्शित कर अन्य गांवों के लोगों को प्रेरित करेगा। विभाग ने इसके लिए योजना भी बना ली है। जिले के प्रत्येक विकासखंड...

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बिना ईंधन के चलता है यह लिफ्ट एरीगेशन- उमेश यादव

भारतीय सेना से रिटायर्ड हजारीबाग के रहने वाले एक कर्नल ने जल प्रबंधन के लिए देसी पंप ईजाद किया है। यह एक ऐसा एरीगेशन सिस्टम है जिसमें बिना बिजली, डीजल, केरोसिन, पेट्रोल आदि ईंधन के पानी को पाइप के जरिये ऊपर पहुंचाया जाता है। जल प्रबंधन में कर्नल की इस नवीन खोज पर केंद्रित उमेश यादव की रिपोर्ट। पानी का संकट, महंगे पेट्रोल-डीजल और राज्य में बिजली की बदतर स्थिति झारखंड...

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क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई

लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...

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एक मुट्ठी चावल से बनी एक करोड़ की पूंजी- मो. इमरान खान

मो. इमरान खान, नारायणपुर। जिले के किसानों ने घर-घर से एक-एक मुट्ठी चावल जुटाकर आठ साल में करीब एक करोड़ रुपए की पूंजी बना ली है। इस रकम से वे न केवल खेती और पशुपालन के लिए कर्ज लेते हैं बल्कि समिति से बाहर के किसानों को भी कर्ज देते हैं। यह मुहिम 2006 से शुरू हुई। शुरू में हर परिवार की महिला रसोई से रोजाना एक मुट्ठी चावल समिति के...

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