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उत्तर प्रदेशः महिला हेल्पलाइन की 300 से अधिक कर्मचारी धरने पर, 14 महीने से नहीं मिला वेतन

-द वायर, उत्तर प्रदेश की महिला हेल्पलाइन 181 की 351 कर्मचारी अनिश्चितकालीन धरने पर हैं. द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कर्मचारियों को जुलाई 2019 से वेतन नहीं मिला है, जिसके विरोध में वह लखनऊ के इको पार्क में 17 अगस्त से धरने पर हैं. हेल्पलाइन की कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने सामूहिक रूप से जरूरतमंद पांच लाख से अधिक महिलाओं की मदद की है, जिसके तहत उन्हें काउंसिलिंग देने से...

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आठ गाँव के आदिवासियों ने 500 एकड़ बंजर जमीन पर तैयार कर दिया जंगल

-गांव कनेक्शन, आठ गांव के आदिवासियों ने दस साल में 500 एकड़ बंजर जमीन पर हरा भरा जंगल तैयार कर दिया है। लोगों ने हर एक पौधे और पेड़ की बच्चों की तरह देखभाल की जिससे ये जंगल तैयार हो पाया। मध्य प्रदेश के बालाघाट ज़िले में कान्हा नेशनल पार्क से लगे आठ गाँव के आदिवासियों ने अपने जज्बे से 500 एकड़ बंजर भूमि पर नया जंगल खड़ा कर दिया है।...

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प्रेमचंद 140 : जीवन के प्रति दहकती आस्था

-सत्यहिंदी, प्रेमचंद को लेकर साहित्यवालों में कई बार दुविधा देखी जाती है। उनका साहित्य प्रासंगिक तो है लेकिन क्यों? क्या ‘गोदान’ इसलिए प्रासंगिक है कि भारत में अब तक किसान आत्महत्या कर रहे हैं? या दलितों पर अत्याचार अभी भी जारी है, इसलिए ‘सद्गति’ और ‘ठाकुर का कुआँ’ प्रासंगिक है? क्या ‘रंगभूमि’ इसलिए पढ़ने योग्य बनी हुई है कि किसानों की ज़मीन कारखाने बनाने के लिए या ‘विकास’ के लिए अभी...

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कोविड-19: उत्तर प्रदेश में लक्ष्य से कम हो पा रही जांच, तेज़ी से बढ़ रहे मामले

-द वायर, उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के केस बीते एक महीने से तेजी से बढ़े हैं और अब यह आंकड़ा एक लाख पार कर गया है. बड़े महानगरों के साथ-साथ अब छोटे जिलों में भी तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है. प्रदेश में अब नौ ऐसे जिले हो गए हैं, जहां कोविड-19 केस दो हजार से अधिक हो गए हैं. चार जिलों में कोराना संक्रमण के मामले पांच हजार से अधिक हैं. प्रदेश...

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प्रवासियों के लिए उठाए गए कदम को सुप्रीम कोर्ट को बताने में विफल रहे 28 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश

-द प्रिंट, 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 45 दिन पहले शीर्ष अदालत द्वारा निर्देशित तीन मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों के तहत प्रवासी श्रमिकों के लिए उठाए गए कदमों के विवरण सर्वोच्च न्यायालय को देने में विफल रहे हैं. यह 31 जुलाई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर दर्ज स्वतः संज्ञान मामले पर दायर एक निहितार्थ आवेदन की सुनवाई के दौरान सामने आया था. एनएचआरसी ने यह इंगित...

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