टीवी के पर्दे पर किसी क्रीम से चुटकियों में कमर दर्द या मुहांसे गायब होते हम रोज देखते हैं. हम जानते हैं कि ऐसा वास्तव में नहीं होता. यह मिथ्या या कह लीजिये अतिरंजित प्रचार है, विज्ञापन है. लेकिन समाचारों पर हम भरोसा करते हैं. अगर समाचार असत्य हो, मुनाफे के वास्ते या किसी की लोकप्रिय छवि बनाने अथवा बिगाड़ने के लिए मिथ्या प्रचार को समाचार का रूप दिया जाये...
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जन-आंदोलनों का विचार-- अनुज लुगुन
साल 1930 में मार्च महीने की 12 तारीख थी. जैसे हर रोज सूरज निकलता है, वैसे ही उस दिन भी सूरज निकलनेवाला था, फिर भी उन लोगों को सूरज के उगने की प्रतीक्षा थी. यद्यपि उन्हें मालूम था कि वे सरकार के विरुद्ध कदम उठा रहे हैं और उसका परिणाम यातनामयी होगा, लेकिन सबने प्रण कर लिया था कि यदि कदम नहीं बढ़े, यदि आवाज नहीं उठी, तो उनके जीवन...
More »छत्तीसगढ़: सूखा राहत के नाम पर केंद्र से मिले सिर्फ 395.31 करोड़ रुपए
रायपुर। नईदुनिया राज्य ब्यूरो छत्तीसगढ़ को सूखा राहत के नाम पर केंद्र सरकार ने झुनझुना पकड़ा दिया है। राज्य ने प्रदेश के 21 जिले की 96 तहसीलों को खरीफ सीजन में सूखाग्रस्त घोषित किया था। राज्य के राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने सूखा राहत के लिए विभिन्न मद में 4401 करोड़ रुपए की सहायता का प्लान भेजा था। केंद्र की टीम ने सूखा प्रभावित तहसीलों का दौरा भी किया। अब...
More »राजस्थानः खनन पर लगी रोक से गहराता जा रहा है बजरी संकट
जयपुर। राजस्थान बजरी खनन पर पिछले तीन माह से लगी सुप्रीम कोर्ट की रोक और सरकार की नई नीति पर हाईकोर्ट की रोक के कारण राजस्थान मे बजरी संकट गहराता जा रहा है। प्रदेश में बजरी की जमकर कालाबाजारी हो रही है। रोक के पहले 10 हजार रुपए में मिल रहा ट्रक अब 30 से 40 हजार रुपए में भी मुश्किल से मिल पा रहा है। राजस्थान में सरकार ने बजरी...
More »फसल के दाम का सच-- योगेन्द्र यादव
कल रात एक छोटा-सा वीडियो देखा, कुछ ही मिनट का रहा होगा. इस वीडियो में महाराष्ट्र के जालना जिले का एक किसान अपने खेत में लगी गोभी की फसल को तहस-नहस कर रहा है. किसान का नाम है- प्रेमसिंह लखीराम चव्हाण. कहानी यह है कि खरीफ में कपास की फसल बरबाद होने के बाद प्रेमसिंह ने अपने खेत में टमाटर और गोभी लगाये. लेकिन, जब चार क्विंटल टमाटर बाजार...
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