आज विश्व जल दिवस है। हर साल यह दिन 22 मार्च को स्वच्छ पानी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। इस बार जल दिवस की विषय-वस्तु है, पेय जल की गुणवत्ता। पानी के महत्व का अहसास प्यास लगने पर ही होता है। पानी का कोई विकल्प नहीं है। इसकी एक-एक बूंद अमृत है। विश्वास करें, अगर अमृत है, तो यही है। अत:...
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अभिशाप मानते हैं स्कूल का मुंह देखना
बांदा। उनके बच्चे भी खेलते हैं मगर जहरीले सांप और बिच्छुओं के साथ। स्कूल का मुंह देखना अभिशाप है लेकिन पांच साल के बच्चों को 'सांप की पिटारी' व 'बीन' थमा दी जाती है। बाल विवाह की प्रथा है और सांप नचाने व बीन बजाने की कला का प्रदर्शन ही शादी की शर्त है। हम बात कर रहे है सपेरा समाज की। उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद और कौशांबी से...
More »नहीं रुक रहा बाघों की मौत का सिलसिला
नई दिल्ली। इस साल जनवरी के बाद केवल दस हफ्तों में देश के अनेक अभयारण्यों में कम से कम 13 बाघों की मौत हो गई, जिनमें जनवरी और मार्च में पांच-पांच बाघों की मौत हुई। पिछले साल 60 बाघों की मौत दर्ज की गई थी। दुनिया में केवल 3500 बाघ बचे हैं, जिनमें से 1411 भारत में हैं। यह सब तब हो रहा है जबकि, पूरी दुनिया इस संकटग्रस्त प्रजाति की...
More »अभावों की कोख से जन्मा वैज्ञानिक
पूर्णिया [विनय कुमार अजय]। साइकिल मरम्मत की दुकान चलाने वाले खुद्दार पिता के इस होनहार बेटे की उपलब्धि पर आज पूर्णिया ही नहीं पूरा बिहार गर्व कर रहा है। मुफलिसी की आग में तप कर कुंदन बने विवेक ने न सिर्फ आईआईटी में बाजी मारी बल्कि अब उसका चयन मुंबई के भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर [बार्क] में रिसर्च के लिए हुआ है। इस सेंटर में चयनित पूरे देश के कुल 17 छात्रों में से...
More »एक पहल जल-जंगल के लिए
शिमला [ब्रह्मानंद देवरानी]। देर आयद, दुरुस्त आयद यह कहावत कोटखाई क्षेत्र के उन लोगों पर चरितार्थ होती है जिन्होंने वनों के अवैध कटान और जल संरक्षण के लिए बीड़ा उठाया है। संभव है कि छोटी सी ही सही, लेकिन इन लोगों ने वनों की अहमियत को समझकर जो पहल की है, निस्संदेह यह कदम जलवायु परिवर्तन के लिए उपयोगी होगी। वनों का अवैध कटान कर उस भूमि पर बागीचा लगाने के लिए बदनाम ऊपरी शिमला...
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