पटना। पटना में आईजीआईएमएस परिसर में बन रहे हर्बल पार्क के निर्माण कार्य में तेजी आ गई है। संस्थान के अभियंत्रण विभाग ने पार्क के लिए मुख्य सड़क के पूर्व व पश्चिम में प्रस्तावित 3.5 एकड़ जमीन के चारों ओर दीवारें उठाने तथा मिट्टी डालने का काम तेज कर दिया है। आगे के विकास हेतु सरकार को सूचित कर दिया गया है। कोई अड़चन न आई तो कुछ महीनों में प्रदेशवासी इस पार्क को न केवल...
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पुरखों की जमीन दी, बदले में क्या मिला.. !!
राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू और जयपाल सिंह मुण्डा आए थे और गांव वालों को समझा बुझा कर विकास के नाम पर जमीन ले लिया था. आज पचास सालों के बाद विस्थापितों के हालात भिखमंगों की तरह हो गई है. उन्ही विस्थापितों में से एक हैं लुसिया तिर्की जो मंदिरा डैम से उजाड़ दी गई. उनका कहना है कि जमीन का कागज अभी तक...
More »सरकारी कागजों में स्लम का अकाल
अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
More »पत्थरों की खदानों से लौटा बचपन || बिदिसा फौजदार/शिरीष खरे ||
कभी बाल मजदूरी करने वाला महेन्द्र अब बच्चों के अधिकारों से जुड़ी कई लड़ाईयों का नायक है। महेन्द्र के कामों से जाहिर होता है कि छोटी सी उम्र में मिला एक छोटा सा मौका भी किसी बच्चे की जिंदगी को किस हद तक बदल सकता है। महेन्द्र रजक, इलाहाबाद जिले के गीन्ज गांव से है- जहां की भंयकर गरीबी अक्सर ऐसे बच्चों को पत्थरों की खदानों की तरफ धकेलती है। महेन्द्र...
More »लड़ाई लड़ेंगे नई राजधानी के किसान
रायपुर. नई राजधानी प्रभावित किसान जमीन की कीमत बढ़ाने की मांग पर अड़ गए हैं। किसान जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए अड़े हुए हैं। उन्हें जमीन के बदले जमीन चाहिए। पिछले नौ सालों से प्रतिबंध झेल रहे किसानों को जमीन की कीमत मात्र छह लाख 58 हजार (असिंचित) और सात लाख आठ हजार रुपए (सिंचित)एकड़ की दर से भुगतान किया जा रहा है। सरकार ने मांग नहीं मानी तो किसान बड़ी लड़ाई के लिए...
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