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अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार का घुन-- अरविन्द कुमार सिंह

दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में पिछड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब यहां भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानूनों से लैस तमाम एजेंसियां हैं और नागरिक समाज आंदोलित है। वैसे तो भ्रष्टाचार ने पूरी दुनिया को गिरफ्त में ले रखा है, लेकिन अगर भारत की बात करें तो जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला न...

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सात दशक के बाद-- रघु ठाकुर

स्वतंत्रता और स्वाधीनता का क्या अर्थ है? स्वतंत्रता एक व्यवस्थागत आजादी का बोध कराती है। मसलन, स्वतंत्र यानी हमारे देश का अपना प्रशासन, अपनी शासन-प्रशासन प्रणाली। पर स्वाधीनता उससे कुछ ज्यादा व्यापक अर्थ देती है, जिसमें किसी भी प्रकार की अधीनता न हो। एक देश के रूप में हम अपने ही अधीन हों- एक नागरिक के रूप में, हम अपनी अंतरात्मा के अधीन हैं। अब प्रश्न यह है कि आज...

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सुधार की दिशा में बहुत बड़ा कदम - मोहन गुरुस्‍वामी

वस्तु एवं सेवा कर विधेयक (जीएसटी बिल) एक राष्ट्रीय मूल्यवद्र्धित कर प्रणाली प्रस्तावित करता है। वैसे तो इसे जून 2016 तक कानून का रूप ले लेना चाहिए था, लेकिन सत्तापक्ष-विपक्ष में टकराव की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। अब लगता है कि जल्द ही यह कानून बन जाएगा। बुधवार को यह बिल सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच लंबी चर्चा के जरिए बनी सहमति के बाद राज्यसभा में पारित हो...

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देश के मुद्दे और मीडिया की जंग -- मिहिर भोले

मीडिया की दो दिग्गज हस्तियों बरखा दत्त और अर्नब गोस्वामी के बीच छिड़ी घोषित-अघोषित जंग आज-कल चरचा में है. दोनों ही देश के एकसमान प्रतिष्ठित और लोकप्रिय पत्रकार हैं. दोनों की अपनी-अपनी फैन-फॉलोइंग है. बरखा लिख रही हैं और अपने लिए वैचारिक समर्थन जुटाने के लिए ट्वीट भी कर रही हैं. दूसरी ओर अर्नब बिना नाम उछाले अपने शो में बरखा की सोच का जोरदार प्रतिवाद करते जा रहे...

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उड़ती उदारता के पैर हैं नदारद-- अनिल रघुराज

आर्थिक विकास का मतलब अगर देशी-विदेशी कंपनियों के मुनाफे और शेयर बाजार का बढ़ना है, तो देश ने यकीनन पिछले 25 सालों में अच्छा विकास किया है. बीएसइ सेंसेक्स 29 जुलाई, 1991 को 1637.70 पर बंद हुआ था. अभी 29 जुलाई, 2016 को 28,051.86 पर बंद हुआ है. 25 साल में 1612.88 प्रतिशत वृद्धि या 12.03 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि दर. बाजार में इस दौरान विषमता भी घटी है. 1991...

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