SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 770

शरद यादव का बड़ा बयान, कहा-गरीबों के साथ भेदभाव करता है NEET, खत्म कर देना चाहिए

पटना / नयी दिल्ली : मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा नेशनल एलिजिबिलिटी कम एन्ट्रेन्स टेस्ट एनईईटी, को खत्म करने पर जोर देते हुए जदयू के राज्यसभा सदस्य शरद यादव ने कहा कि केंद्र और राज्यों को अदालत में इसके खिलाफ तर्क देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत हो तो संसद में एक कानून बनाना चाहिए जिसके तहत राज्य सरकार नियंत्रित मेडिकल...

More »

पुनर्वास में अहम भूमिका निभा रहीं आधुनिक संचार सेवाएं

दुनियाभर में अनेक कारणों से पिछले वर्ष लगभग 6.56 करोड़ लोगों को जबरन अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा. दुर्भाग्यवश यह संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2000 से 2016 के बीच दुनियाभर में करीब 3.5 अरब लोग प्राकृतिक आपदाओं और मानव जनित त्रासदियों की चपेट में आये थे. विस्थापितों की जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने और वांछित आपदाओं से कारगर तरीके से निपटने के लिए स्थायी समाधान खोजने...

More »

किसानों को चाहिए साहसिक सुधार-- आलोक रंजन

देश के ज्यादातर राज्य गंभीर कृषि संकट की गिरफ्त में हैं। किसानों का असंतोष व उनकी बेचैनी दिनोंदिन आक्रामक होती जा रही है। मध्य प्रदेश के मंदसौर में जो कुछ हुआ, वह हमारे नीति-नियंताओं के लिए एक झकझोर देने वाला वाकया था। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि किसानों को उनकी फसलों का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उनकी आमदनी नहीं बढ़ रही है। दालों और...

More »

रांची- बारिश के कारण छह करोड़ के बाजार में हो रहा 50 लाख का कारोबार

रांची: चार दिनों से लगातार हो रही बारिश ने राजधानी का व्यापार चौपट कर दिया है. थोक मंडी पंडरा बाजार व अपर बाजार से माल खुदरा और रांची के आसपास वाले बाजार में नहीं पहुंच पा रहा है. मंडी पहुंच कर खरीदारी करने वाले खुदरा व्यापारी भी नदारद हैं. माल पहुंचने के बाद भी बारिश के कारण लोडिंग व अनलोडिंग नहीं हो पा रही है. सामान भींगने का खतरा...

More »

महसूस क्यों नहीं हो रहे अच्छे दिन-- आर सुकुमार

इस समय भारत के आर्थिक माहौल के बारे में दो प्रतिस्पद्र्धी कहानियां हैं। दोनों की प्रकृति भले ही एक-दूसरे से अलग हो, लेकिन हैं दोनों सही। जेपी मॉरगन के मुख्य अर्थशास्त्री साजिद जेड चिनॉय की इन्हीं पंक्तियों के साथ आज मैं अपनी बात शुरू करना चाहता हूं। चिनॉय का यह लेख 19 जुलाई को मिंट में प्रकाशित हुआ था। शीर्षक था- इंडियन इकोनॉमी : अ टेल ऑफ टू नैरेटिव्स। जिन पाठकों...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close