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इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फैलोशिप 2014 के लिए आवेदन आमंत्रित हैं

इन्कूलिसिव मीडिया-यूएनडीपी फैलोशिप-2014 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फैलोशिप के लिए आवेदन विकासशील समाज अध्ययन पीठ( सीएसडीएस) की एक परियोजना इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की ओर से आमंत्रित किए गए हैं। यह फैलोशिप ग्रामीण-संकट/ ग्रामीण-विकास तथा वंचित तबके के मुद्दों पर मीडिया कवरेज बढ़ाने और कवरेज को पैना बनाने के लिए दी जा रही है। फैलोशिप का उद्देश्य लोकतांत्रिक सामाजिक बदलाव को बढ़ावा देना है, खासकर सशक्तीकरण, भागीदारी और सुशासन(गुड-गवर्नेंस) के जरिए।   इन्कूलिसिव मीडिया फॉर...

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जलाशयों में अतिक्रमण से बढ़ा भूजल संकट

महोबा, जागरण संवाददाता : कबरई ब्लाक का खन्ना सर्वाधिक जल संकट ग्रस्त गांव है। रिमोट सेंसिंग टीम के सर्वे के मुताबिक यहीं एक हजार फिट गहराई तक नलकूप लगाने योग्य पानी नहीं है। बावजूद इसके ग्रामीण जलाशयों में अतिक्रमण कर मकान बना रहे हैं। इससे गांव के डार्क जोन में आने की रही सही कसर भी पूरी हो गई है। ग्राम प्रधान व सैकड़ो ग्रामीणों ने डीएम से सर्वोच्च न्यायालय...

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दामोदर की जीवन रेखा को चाहिए जीवन दान- उमा(धनबाद)

-आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम पर संकट के बादल- बाढ़ जैसी भीषण प्राकृतिक आपदा को नियंत्रित करते हुए जीवन को रोशन करने के मकसद से 66 साल पहले 7 जुलाई, 1948 को अस्तित्व में आयी आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की जीवन रेखा आज जीवन दान के लिए तरस रही है. 27 मार्च, 1948 को डीवीसी का गठन भारत के संसद...

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अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था- अविनाश कुमार चंचल

दुनियाभर के पर्यावरण विशेषज्ञ 2014 को अलनीनो का साल मान रहे हैं. अगर सच में यह साल अलनीनो के प्रभावों वाला होगा, तो यह भारत सहित समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए चिंताजनक स्थिति बन सकती है. भारतीय मौसम विभाग ने भी इस साल मॉनसून में कमी का अनुमान जताया है. अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव पर नजर डाल रहा है आज का नॉलेज. पर्यावरण के गंभीर खतरों के बीच...

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जल संकट दूर कर प्रेरणा बने कर्नाटक के गांव- पंकज चतुर्वेदी

ऊंचे पहाड़ों व चट्टानों के बीच बसे कर्नाटक के चुलुवनाहल्ली गांव के बीते दस साल बेदह त्रासदीपूर्ण रहे। गांव के एकमात्र तालाब की तलहटी में दरारें पड़ गईं, जिससे बारिश का पानी टिकता नहीं था। तालाब सूखा तो सभी कुए, हैंडपंप व ट्यूबवेल भी सूख गए। साल के सात-आठ महीने तो सारा गांव महज पानी जुटाने में खर्च करता था। ऐसे में खेती-किसानी चौपट हो गई। ऐसे में गांव के...

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