रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में आदिवासियों के बाद अब ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य में ओबीसी आबादी करीब 52 फीसद है। आबादी के अनुपात में आरक्षण की मांग को लेकर ओबीसी लगातार आंदोलित होते रहे हैं। सोमवार को ओबीसी आंदोलन को हवा देने दिल्ली से स्वामी अग्निवेश यहां आ रहे हैं। सुभाष स्टेडियम के पास शासकीय बहुउद्देश्यीय उच्च्तर माध्यमिक विद्यालय...
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झारखंड: नगड़ी में पीडीएस में डीबीटी का पायलट वापस नहीं, लोगों का प्रतिरोध जारी
नगड़ी में जन वितरण प्रणाली में डीबीटी का पायलट राज्य सरकार द्वारा अभी तक वापस नहीं लिया गया है बावजूद इसके कि सरकार के इस जनविरोधी प्रयोग के खिलाफ नगड़ी वासियों के भारी जन प्रतिरोध एवं ग्राम सभा के विरोध का सामना करना पड़ा है 1. नगड़ी पायलट अक्टूबर 2017 में शुरू किया गया था. जन विरोध अब तक जारी है 2. डीबीटी व्यवस्था के तहत लोगों को अपने...
More »नियमित हों कॉलेज शिक्षक- आर के सिन्हा
अब देशभर के कॉलेजों में नये सत्र के लिए विद्यार्थियों के दाखिले की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. प्रमुख विश्वविद्यालयों के नामी कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए जबरदस्त मारामारी है. नब्बे फीसदी से अधिक अंक लानेवाले छात्र-छात्राओं को भी यकीन नहीं हो रहा है कि उन्हें उनकी पसंद के कॉलेज और विषय में दाखिला मिल ही जायेगा. यह तस्वीर का एक पक्ष है. दूसरा पक्ष भयावह है. उसे जानकर...
More »अवसाद की फैलती महामारी-- आशुतोष चतुर्वेदी
आत्महत्या करने से बड़ा कोई अपराध नहीं है. हाल में तीन जाने-माने लोगों ने आत्महत्या की है. इसके अलावा ऐसी भी कई खबरें सामने आयीं कि 10वीं और 12वीं के नतीजों के बाद कुछ बच्चों ने भी आत्महत्या कर ली. जब-तब किसानों के भी आत्महत्या करने की खबरें आती रहती हैं. यह प्रवृत्ति गंभीर रूप धारण करती जा रही है. हाल में आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने इंदौर स्थित अपने...
More »बिहार के विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं के भविष्य से क्यों किया जा रहा है खिलवाड़?
पिछले महीने की 22 तारीख़ को ओडिशा में आयोजित कार्यक्रम में एक सार्वजनिक मंच से ओडिशा का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था, ‘मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि ओडिशा के विश्वविद्यालय बिहार के विश्वविद्यालयों से बेहतर कर रहे हैं. बिहार में शिक्षा व्यवस्था में माफिया राज है. परीक्षाएं उचित तरीके से नहीं होती हैं और अकादमिक कैलेंडर भी नहीं...
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