दुनिया के लिए यह एक चुनौती भरा समय है। आम जनता महंगाई और बेरोजगारी की समस्या से जूझ रही है और व्यवसाय जगत करों की ऊंची दरों और मांग में आई कमी से संघर्ष कर रहा है, क्योंकि उपभोक्ता खर्च करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। वैश्विक बाजार किसी रोलरकोस्टर पर सवार होकर एक संकट से दूसरे संकट तक की यात्रा कर रहा है। यूनान, इटली, यूरो संकट, बलरुस्कोनी का...
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बढ़ती महंगाई में योजना आयोग का मानव विकास रिपोर्ट 2011
क्या किसी देश का एचडीआर रिपोर्ट सालों से चली आ रही महंगाई और महंगाई की बढ़वार की तुलना में आमदनी की बढ़वार का जिक्र किए बगैर इस फैसले पर पहुंच सकता है कि देश में गरीबों की संख्या घटी है क्योंकि प्रतिव्यक्ति आमदनी के बढ़ने से लोगों की क्रयशक्ति बढ़ी है और वे भोजन,सेहत,शिक्षा सहित रोजमर्रा की बाकी जरुरतों पर पहले की तुलना में ज्यादा खर्च कर रहे हैं ? एक ऐसे वक्त में जब...
More »खाद्य महंगाई दर 11.43 फीसदी पर
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार की तमाम कोशिशों और दावों को धता बताते हुए खाद्य वस्तुओं की महंगाई काबू से बाहर होने लगी है। खाने-पीने की चीजों के महंगा होने से आम लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। सब्जियों, फल और दूध के मूल्य बढ़ने से थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य महंगाई की दर 11 फीसदी के पार पहुंच गई है। दालें और मोटे अनाज के स्थिर मूल्य भी चढ़ने लगे हैं।...
More »महंगाई ने फिर दिखाया रौद्र रुप
महंगाई को जल्दी काबू में करने का वादा कर रही सरकार को जबरदस्त झटका लग गया है। दऱअसल महंगाई के आंकड़े में जोरदार उछाल आ गया है। बीते 8 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में खाद्य महंगाई 10.6 फीसदी के स्तर पर जा पहुंची है। इसके पिछले हफ्ते में यह आंकड़ा 9.32 फीसदी के स्तर पर था। इस दौरान प्रमुख खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर भी बढ़कर 11 फीसदी के पार...
More »बत्तीस के फेर में गरीबी : इला भट्ट
अब देश की सरकार गरीबी के मानदंडों में संशोधन करने जा रही है, जैसे कि देश को पता ही न हो कि गरीबी के मायने आखिर क्या हैं! सरकार का मानना है कि शहरी क्षेत्र में एक दिन में 32 रुपए और ग्रामीण क्षेत्र में एक दिन में 26 रुपए से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति ‘गरीब’ नहीं माना जा सकता और इसलिए वह सरकार की विभिन्न हितकारी योजनाओं के लिए पात्र...
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