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सरकार द्वारा कम खर्च के चलते बढ़ रहा है जोखिम, एक साल में डेढ़ गुना हुए टीबी मरीज

टीबी से मरते लोग भारत समेत दुनिया में तपेदिक (टीबी) से होनेवाली मौतों में लगातार कमी आ रही है, लेकिन हमारे देश में इस बीमारी के शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है. वर्ष 2015 में एक साल पहले की तुलना में टीबी के 50 फीसदी अधिक मामले सामने आये थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसी हफ्ते जारी ‘ग्लोबल टीबी रिपोर्ट' से संकेत मिलता है कि टीबी...

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छत्तीसगढ़--- दफ्तरों में अटैच शिक्षाकर्मी जाएंगे स्कूल

जिला पंचायत सीईओ ने डीईओ, बीईओ समेत अन्य सरकारी कार्यालयों में सालों से जमे शिक्षाकर्मियों का संलग्नीकरण समाप्त करने का आदेश जारी किया है। इससे ऊंची पहुंच वाले शिक्षाकर्मियों में हड़कंप मच गया है। राज्य शासन ने कलेक्टर को पत्र लिखकर सरकारी कार्यालयों में अटैचमेंट समाप्त करने का फरमान जारी किया है। इसके बाद भी ऊंची पहुंच वाले कर्मचारी सालों से अपने मूल पदस्थापना स्थल को छोड़कर मलाईदार जगहों पर पदस्थ...

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आंकड़ों से बाहर अलक्षित स्त्री-श्रम-- सुजाता

पुरानी बॉलीवुड फिल्मों में मां के किरदार को याद करते हुए अक्सर एक चेहरा निरूपा राय जैसी मां का सामने आता है, जो विधवा है, दुखी है, लेकिन स्वाभिमानी है. पति के न रहने पर वह दिन-रात दूसरों के कपड़े सिल कर अपने बच्चों को बड़ा करती है. अचानक यह एहसास होता है कि दुनिया का सारा कारोबार पुरुष के श्रम पर चलता है और स्त्री इसमें केवल मर्द के...

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BIHAR : 1.80 लाख से अधिक शिक्षक नियुक्त होंगे

पटना : प्रदेश में टीइटी-एसटीइटी के बाद सरकारी स्कूलों में अगले साल से 1.80 लाख से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति होगी. शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए नये पद भी सृजित किये जायेंगे. इसमें 30 बच्चों पर एक शिक्षक के अनुपात को ध्यान में रखा जायेगा. वर्तमान में स्कूलों में छात्र-शिक्षक का अनुपात करीब 50:1 है. वर्तमान में जहां 1.02 लाख पद खाली हैं, वहीं पिछले...

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जीडीपी बनाम भूख सूचकांक-- धर्मेन्द्रपाल सिंह

ताजा विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के अनुसार भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन से बदतर है। यह सूचकांक हर साल अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) जारी करता है, जिससे दुनिया के विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति का अंदाजा लगता है। आज केवल इक्कीस देशों में हालात हमसे बुरे हैं। विकासशील देशों की बात जाने दें, हमारे देश...

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