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श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन का निधन

आणंद (गुजरात) : दूध की कमी से जूझने वाले देश से भारत को दुनिया का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बनाने वाले ‘श्वेत क्रांति’ के जनक डा. वर्गीज कुरियन का पडोसी नाडियाड के मुलजीभाई पटेल यूरोलॉजिकल अस्पताल में संक्षिप्त बीमारी के बाद आज तडके निधन हो गया. वह 90 साल के थे और उनके परिवार में पत्नी मॉली कुरियन और पुत्री निर्मला हैं. गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) अधिकारियों ने बताया,...

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जल सत्याग्रहः जान दे देंगे, अपना गांव नहीं छोड़ेंगे

भोपाल/हरदा।इंदिरा सागर बांध में 260 मीटर के ऊपर पानी भरने के विरोध में नर्मदा तटीय इलाके के गांवों में जल सत्याग्रह का बिगुल बज गया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन और डूब प्रभावित लोगों का कहना है कि बांध का जलस्तर 260 मीटर से नीचे लाया जाए। उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार डूब लाने के छह माह पहले संपूर्ण पुनर्वास होना जरूरी है। गांव वाले पिछले एक हफ्ते...

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देश में मानसून सामान्य के करीब, राजस्थान में 16 फीसदी ज्यादा

जयपुर/नई दिल्ली। अगस्त में हुई भारी बारिश ने मानसून को सामान्य औसत के करीब ला दिया है। जून से पांच सितंबर तक पूरे देश में 675.4 मिमी बारिश हो चुकी है। जबकि सामान्य औसत 748.5 मिमी है। मतलब मानसूनी बारिश अब महज 10 फीसदी कम रह गई है।  राजस्थान में अब तक 16.15 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। राजस्थान में 1 जून से 9 सितंबर तक 491.22 मिमी होती है। अब तक...

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शिक्षा अधिकार का सच- नरेश गोस्वामी

जनसत्ता 7 अगस्त, 2012: मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबद्ध संसदीय समिति की रिपोर्ट बताती है कि शिक्षा अधिकार के कार्यान्वयन के लिए स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को बजट की निर्धारित राशि का केवल साठ फीसद दिया गया है। इसका मतलब यह है कि शिक्षा अधिकार योजना को इस साल पंद्रह हजार करोड़ रुपयों की कमी पडेÞगी। योजना की जरूरतों और बजटीय आबंटन के इस अंतर को देखते हुए संसदीय समिति ने...

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पर्यावरण भी हो विकास का मानक- अनिल पी जोशी

हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...

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