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एस्सार समूह के खिलाफ लागू हो छत्तीसगढ़ विशेष सुरक्षा कानून

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार से नक्सलियों को कथित रूप से पैसे देने के लिए एस्सार समूह के खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की है। वहीं, एस्सार समूह ने ऐसे आरोपों से इंकार किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने शुक्रवार को कहा, ''नक्सलियों को बड़ी रकम देने के लिए मैं एस्सार समूह के मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता...

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वन सुरक्षा समिति के कानून में होगा परिवर्तन : वन मंत्री

नागराकाटा, संवादसूत्र : वन विभाग की गतिविधियों में आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए गठित वन सुरक्षा समिति यानी कि फॉरेस्ट प्रोटेक्शन कमेटी के पुराने कानून को बदलने पर राज्य सरकार विचार कर रही है। इस समिति में संबंधित विधायकों को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। वन सुरक्षा समिति के सदस्यों को सीएफसी लकड़ी की बिक्री के लाभांश की रकम सौंपने के लिए आयोजित...

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किसान महापंचायत के लिए रावतखेड़ा में पंचायत

हिसार, जागरण संवाद केन्द्र : किसान अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। फिर भी हिसार लोकसभा उपचुनाव का मुद्दा नहीं है। गाव रावतखेड़ा में 9 अक्तूबर को होने वाली किसान महापंचायत की तैयारी हुई पंचायत को संबोधित करते हुए किसान यूनियन फेडरेशन के प्रदेश महासचिव महेद्र सिंह गोदारा ने कहा कि आज किसान की हालत दयनीय हो गई। आसमानी संकट ने किसान की फसलों को भारी नुकसान पहुचाया है। उसकी भरपाई का कानून...

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उत्तराखंड भी बनाएगा बिहार जैसा संपत्ति जब्ती कानून

देहरादून, जागरण ब्यूरो : मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने दूसरी बार उत्तराखंड की कमान संभालते ही रविवार को भ्रष्टाचार के खिलाफ शंखनाद कर दिया। उन्होंने कैबिनेट की पहली ही बैठक में ऐलान किया कि सरकार दो माह के भीतर बेनामी संपत्ति जब्ती व लोक सेवा अधिकार कानून लाएगी। खंडूड़ी ने सूबे के मंत्री-अफसरों को एक माह के भीतर संपत्ति घोषणा का निर्देश देते हुए कहा, लोकायुक्त व्यवस्था को प्रभावशाली बनाने के...

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गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान

  ‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख    सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....

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