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हिंदी सम्मेलन में खो गया बहुभाषीय भारत - डॉ अनिल सद्गोपाल

विश्व हिंदी सम्मेलन सरकारी जश्न था। सरकारी जश्नों की तरह यह जश्न भी कुछ मिथकों पर टिका हुआ था। इसका सबसे बड़ा मिथक था कि हिंदी का विकास बहुभाषीय भारत की तमाम समृद्ध भाषाओं को हाशिए पर धकेलकर करना संभव है। कहीं दूर से भी यह संदेश नहीं निकला कि जिस अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ हिंदी संघर्ष कर रही है, उसी के खिलाफ बाकी भारतीय भाषाएं भी जूझ रही हैं...

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आरटीई नेे 4 साल में 73% कम कर दी बच्चों की आत्महत्याएं- आनंद चौधरी

जयपुर. राज्य सरकार राइट टू एजुकेशन (आरटीई) में बदलाव कर दोबारा परीक्षा प्रणाली लागू करने की तैयारी में है। कई लोगों का मानना है कि आरटीई के तहत किसी भी छात्र को फेल न करने की बाध्यता शिक्षा की गुणवत्ता को कम करती है और राज्य सरकार की पहल एक अच्छा कदम है। मगर इस सिक्के का एक दूसरा और उजला पहलू भी है। आरटीई के इसी फेल न करने की...

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बालिका इन्सेंटिव योजना 6 सालों से खा रही धूल

रायगढ़ (निप्र)। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा इन दिनों जोर-शोर से उठाया जा रहा है। इस अभियान तहत प्रदेश के सिर्फ रायगढ़ जिले को जोड़ा ही गया है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ तहत तमाम तरह की कवायद की जा रही है। बावजूद इसके आज भी ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में बेटियों की संख्या बेहद कम है। बेटियों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने बालिका इन्सेंटिव योजना की भी...

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फेल होते राज्य में रास्ता शिक्षक ही दिखायेगा- पुण्य प्रसून वाजपेयी

पिछले दिनों छत्तीसगढ़ सरकार के आर्थिक और सांख्यिकी विभाग ने चपरासी के 34 पदों के लिए आवेदन निकाला. न्यूनतम शिक्षा मांगी गयी थी मैट्रिक पास. राज्य सरकार ने माना कि इतने कम पद हैं, तो ज्यादा से ज्यादा दो-ढाई हजार आवेदन आयेंगे. क्योंकि, छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि दूसरे राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में बेहद कम बेरोजगारी है.  दो बरस पहले जो आंकड़े जारी किये गये थे उसके...

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आरक्षण की नीति के खतरे - संजय गुप्‍त

गुजरात में अनुभवहीन युवा नेता हार्दिक पटेल की ओर से अपने समुदाय को गोलबंद कर जिस तरह आरक्षण की मांग की गई और जिससे राज्य के कई इलाकों में जो हिंसा भड़क उठी, उससे आरक्षण का मसला एक बार फिर राजनीतिक बहस के केद्र में आ गया है। आजादी के बाद अनुसूचित जातियों और जनजातियों को सामाजिक-आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें दस वर्षों के लिए सरकारी...

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