नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। 'मनरेगा के तहत दिया जा रहा पैसा जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा है। कई मामलों में तो इस योजना का धन गलत हाथों में चला जाता है।' यह टिप्पणी है, सर्वोच्च न्यायालय की, जो उसने मनरेगा पर सेंटर फार एन्वायरन्मेंट एंड फूड सिक्योरिटी नामक गैर सरकारी संस्था की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। वर्ष 2007 में दायर इस याचिका में मनरेगा में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। साथ ही...
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कुपोषण ने लील लिए 43 नौनिहाल
झाबुआ। झाबुआ के आधा दर्जन गांवों में कुपोषण व बीमारियों से तीन माह में हुई 43 बच्चों की मौत ने झाबुआ से लेकर दिल्ली तक कोहराम मचा दिया है। प्रशासन व प्रदेश सरकार जहां इन मौतों से पल्ला झाड़ एक सिरे से नकार रही है। वहीं यह मामला यूनिसेफ व संयुक्त राष्ट्र संघ में गूंजने से केन्द्र सरकार भी सतर्क हो गई है। यही कारण है कि आनन-फानन में केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री कृष्णा...
More »2012 तक सबको स्वच्छ पेयजल : मंत्री
पटना लोगों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार नीति बना रही है। 2012 तक सूबे के सभी लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की तैयारी की गयी है। राज्य सरकार स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता नीति के स्वरूप को अन्तिम रूप दे दी है। शीघ्र ही उस पर सरकार की मुहर लग जायेगी। ये बातें सोमवार को विश्व जल दिवस के अवसर पर तारामंडल सभागार...
More »पत्थरों की खदानों से लौटा बचपन || बिदिसा फौजदार/शिरीष खरे ||
कभी बाल मजदूरी करने वाला महेन्द्र अब बच्चों के अधिकारों से जुड़ी कई लड़ाईयों का नायक है। महेन्द्र के कामों से जाहिर होता है कि छोटी सी उम्र में मिला एक छोटा सा मौका भी किसी बच्चे की जिंदगी को किस हद तक बदल सकता है। महेन्द्र रजक, इलाहाबाद जिले के गीन्ज गांव से है- जहां की भंयकर गरीबी अक्सर ऐसे बच्चों को पत्थरों की खदानों की तरफ धकेलती है। महेन्द्र...
More »सरकारी कागजों में स्लम का अकाल
अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
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