संधिकाल की बेला है, न जाने कितनी लंबी खिंचेगी. यह नखलिस्तानों की तलाश नहीं, मरीचिकाओं में भटकने का दौर है. हकीकत कुछ और, मगर बताया जाता है कुछ और. हर टैक्स मूलतः जनता से धन छीन कर सत्ता की तिजोरी भरता है. सरकार अगर जनोन्मुखी न हो, तो जनता का इससे प्रत्यक्ष रूप से कोई भला नहीं होता, खासकर तब, जब उसे उसकी आय या मुनाफे पर नहीं, बल्कि वस्तुओं...
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ऊना में दलितों ने मैला न उठाने का लिया संकल्प, रेल रोकने की दी चेतावनी
ऊना (गुजरात) : गुजरात के ऊना में हजारों दलितों ने मृत गायों को नहीं हटाने का संकल्प लिया. साथ ही कहा कि अगर एक महीने के भीतर गुजरात सरकार प्रत्येक परिवार को पांच एकड़ जमीन देने की उनकी मांग को पूरा नहीं करती है तो विशाल रेल रोको आंदोलन शुरू किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक इन सबके बीच हमले की ताजा घटना के बाद फिर से तनाव व्याप्त हो गया....
More »सुविधा के द्वीप-- प्रेमपाल शर्मा
दो बजते ही स्कूल से छूटे ढेर सारे बच्चों की खिली हुई आवाज से मन ऐसे प्रसन्न हो उठता है जैसे शाम को घर लौटती चिड़िया का चहकते, शोर करते झुंड को देखना। मैं घर के एकदम पास स्थित सरकारी स्कूल की बात कर रहा हूं। चिल्ला गांव का स्कूल। लगभग तीन हजार बच्चे पॉश कॉलोनियों के बीचों-बीच। लेकिन इसमें इन सोसाइटियों का एक भी बच्चा पढ़ने नहीं जाता। इसके...
More »भ्रष्टाचार की शिकायतों में रेलवे शीर्ष, बैंक दूसरे स्थान पर
नई दिल्ली। सरकारी संगठनों में भ्रष्टाचार की शिकायतों के मामले में रेलवे शीर्ष स्थान पर है। जबकि दूसरे स्थान पर बैंक हैं। पिछले साल मिली शिकायतों के आधार पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने यह रिपोर्ट तैयार की है। हाल ही में संसद में पेश सीवीसी की 2014 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की 12,394 शिकायतें मिलीं। इसके बाद बैंक अधिकारियों के खिलाफ 5,363 और राष्ट्रीय...
More »उड़ती उदारता के पैर हैं नदारद-- अनिल रघुराज
आर्थिक विकास का मतलब अगर देशी-विदेशी कंपनियों के मुनाफे और शेयर बाजार का बढ़ना है, तो देश ने यकीनन पिछले 25 सालों में अच्छा विकास किया है. बीएसइ सेंसेक्स 29 जुलाई, 1991 को 1637.70 पर बंद हुआ था. अभी 29 जुलाई, 2016 को 28,051.86 पर बंद हुआ है. 25 साल में 1612.88 प्रतिशत वृद्धि या 12.03 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि दर. बाजार में इस दौरान विषमता भी घटी है. 1991...
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