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राजस्थान: दर-बदर रहने वाले घूमंतु समुदाय भुगत रहे हैं लॉकडाउन का खामियाज़ा

-द वायर,  मध्य प्रदेश के गुना के रहने वाले 300 से ज्यादा घूमंतु समुदाय के लोग महीने भर पहले ही जैसलमेर के फतेहगढ़ क्षेत्र में जीरा कटाई के लिए आए थे. हर साल की तरह थोड़ी मजदूरी मिलने लगी थी कि 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हो गई. गुना से करीब 900 किमी सफर कर मजदूरी करने आए ये लोग यहीं फंस गए. पांच दिन जमा राशि खर्च कर मदद का...

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संपन्न भारत जब गरीबों के बारे में सोचता है तब वह अपने बारे में ही सोच रहा होता है

-सत्याग्रह,  लॉकडाउन के उपरांत प्रवासी मज़दूर भारी संख्या में अपने गांवों की ओर निकल पड़े. हज़ारों की भीड़ बस अड्डों पर जमा हो गई. कितने तो पैदल ही सड़कों पर निकल पड़े. फिर क्या था, हाय तौबा मच गई. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. कुछ को वापस धकेल दिया गया कि अपने घरों में ही रहो. कुछ को अस्थायी क्वारंटाइन शिविरों में रख दिया गया. डर था कि उन हज़ारों...

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कोरोना वायरस: भारत में लॉकडाउन प्रदूषण के मोर्चे पर एक वरदान है?

-बीबीसी,  भारत में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन जारी है. सड़कें सूनी पड़ी हैं. कामकाज ठप पड़ा है. और लोग घरों में लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं. लेकिन इस सबके बीच एक अच्छी ख़बर ये आई है कि लॉकडाउन की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली समेत तमाम दूसरे शहरों में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में भारी कमी आई है. दिल्ली के वायु प्रदुषण में भारी कमी देखी जा...

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विदेशी मीडिया-भारत में ‘लॉकडाउन’ ग़रीबों को भूखे मरने का आदेश है

-मीडियाविजिल, कोरोना वायरस से बचाव के लिए भारत में घोषित किए गए 21 दिन के लॉक डाउन को न्यूयॉर्क टाइम्स डॉट कॉम (nytimes.com) “भूखे मरने का आदेश” कहा है जबकि अलजजीरा डॉट कॉम (aljazeera.com) ने कहा है कि इसका नुकसान प्रवासी मजदूरों को होगा। इन सबसे ऊपर सीएनएन (cnn.com) का सवाल है कि क्या भारत 21 दिन के लॉक डाउन के लिए तैयार है। इनमें अलजजीरा की खबर सबसे पुरानी यानी...

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कोरोना वायरस की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था ख़राब हो रही है?

-बीबीसी, भारत की राजधानी दिल्ली में रह रहे हज़ारों ग़रीबों में से मोहम्मद आलम एक हैं. वो सरकार की ओर से मिलने वाले राशन के लिए लगने वाली कतार में खड़े हैं. अपने बच्चे को गोद में लिए मोहम्मद आलम सरकारी दाल-चावल मिलने के इंतज़ार में हैं. जिस फ़ैक्ट्री में वो दैनिक मज़दूरी करते थे वो बंद हो गई है और उनकी आमदनी का ज़रिया भी ठप हो गया है. आने वाले...

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