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जलवायु परिवर्तन और बेमौसम बरसात के कारण भारत के कई राज्यों में टिड्डियों के हमलों में बढ़ोतरी

कोविड-19 लॉकडाउन के बीच, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मई 2020 की दूसरी छमाही में रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंड देखे गए हैं. हाल ही में रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंडों द्वारा किए गए हमलों ने इन राज्यों में बड़े पैमाने पर फसलों, मवेशियों के चरागाहों और हरी वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाया है. एक आधिकारिक अनुमान के मुताबिक, 25 मई, 2020 तक राजस्थान के...

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लॉकडाउन के दौरान 55 पत्रकारों को मिली धमकियां, मुक़दमे और गिरफ़्तारी: रिपोर्ट

-द वायर,  बीते 25 मार्च से 31 मई, 2020 के बीच राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान कोरोना वायरस पर खबर करने या अभिव्यक्ति की आजादी के इस्तेमाल पर देशभर के कम से कम 55 पत्रकारों को गिरफ्तारी, मुकदमे, समन या कारण बताओ नोटिस, शारीरिक प्रताड़ना, कथित तौर पर संपत्ति के नुकसान या धमकियों का सामना करना पड़ा. यह जानकारी दिल्ली के ‘राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप’ की इस हफ्ते जारी ‘इंडिया: मीडिया क्रैकडाउन...

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कोविड ने महिलाओं को दशकों पीछे धकेला, उनको मदद दिए बिना भारत ‘आत्मनिर्भर’ नहीं बन सकता

-द प्रिंट, भारत में कोरोनावायरस संकट के कारण लागू किए गए लॉकडाउन ने महिलाओं को दशकों पीछे धकेल दिया है. इनमें से ज्यादातर का जीवन कुछ वैसा ही हो गया है जैसा कभी उनकी दादी-नानी का था. वो दिन का ज्यादातर हिस्सा खाना-पकाने, साफ-सफाई करने और घर-परिवार को संभालने में बिता रही हैं. और जो घर से काम कर रही हैं, अगर उनके पास अब भी नौकरी बची है तो, वो...

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कोरोना की मारी दुनिया में रोजगार और उत्पादन का भविष्य

न्यूजलॉन्ड्री,  आज हमारी दुनिया में सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा है. दो हफ्ते पहले मैंने लिखा था कि कोविड-19 के कारण हुए इस आर्थिक विनाश के फलस्वरूप अब कई ऐसी समस्याएं खुलकर सामने आ रही हैं जो अब तक हमारी नजरों से ओझल थीं. मैंने उन प्रवासी मजदूरों की दिल दहला देने वाली हालत के बारे में लिखा था. वे पहले रोजगार की खोज में अपने गांवों को छोड़कर...

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प्रवासी श्रमिकों ने श्रमदान से पुनर्जीवित की घरार नदी

-डाउन टू अर्थ, बुंदेलखंड की कहावत है “पानी दार यहां का पानी, आग यहां के पानी में” इस कहावत को सच कर दिखाया मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, दिल्ली से लौटे गाँव भांवरपुर तहसील नरैनी जनपद बांदा के प्रवासी श्रमिकों ने और अपने श्रमदान से घरार नदी को पुनर्जीवित कर दिया। यह नदी पन्ना मप्र के जंगलों से आती है और बागेन नदी में समाहित हो जाती है। लगभग 30 वर्षों से घरार नदी...

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