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श्मशान घाट से ग्राउंड रिपोर्ट: अहमदाबाद में भी छिपाए जा रहे हैं कोविड-19 से हुई मौतों के आंकड़े?

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 की दूसरी लहर ने गुजरात को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले लिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब रविवार (11 अप्रैल 2021) तक कोविड से 4,797 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। रविवार को पूरे प्रदेश में एक दिन में 54 लोगों की मृत्यु हुई। जिसमें सबसे अधिक अहमदाबाद में 24 और सूरत में 18 हैं। लेकिन कोविड-19 से हो रही मौतों के आंकड़ों पर सवाल...

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आवरण कथा/ महिला किसान : खेत-खलिहान की गुमनाम बेटियां

-आउटलुक, “‘किसान’ की आम छवि में नदारद, अर्थशास्त्रियों की गणना से बाहर, जमीन के कागजात में गैर-मौजूद हमारी खेती-किसानी की अदृश्य आधी आबादी पर किसान आंदोलन से पड़ी रोशनी” यह भारत का एक बेहद शर्मनाक रहस्य है। भारत का ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व का। जिस 'औपचारिक' अर्थव्यवस्था की हम अक्सर चर्चा करते हैं, जहां लोग परिश्रम करते हैं और उनके परिश्रम के फल को आंकड़ों और ग्राफ में दर्शाया जाता है,...

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कब मिलेगी प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा?

-न्यूजक्लिक, वैसे तो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के कल्याण के संरक्षण को लेकर कई कानून मौजूद हैं, लेकिन वे शायद ही कभी अमल में लाये जाते हैं। एक आदिवासी प्रवासी महिला की मौत ने जो कि भिवंडी के नजदीक धान के खेतों में काम करती थी, की मौत ने प्रवासी मजदूरों की सामजिक सुरक्षा की जरूरत को एक बार फिर से रेखांकित किया है। चालीस वर्षीया चन्द्राबाई थालेकर, जिनके तीन...

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बीजेपी का चुनावी पोस्टर ‘श्रमिकों को पहुंचाया अपने घर’ बढ़ा रहा अजमेरिना और रामचंद्र महतो का दुःख

-न्यूजलॉन्ड्री, बिहार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का एक पोस्टर जगह-जगह लगा हुआ है. पोस्टर पर ‘श्रमिकों को पहुंचाया अपने घर बिहार’ लिखा है और उसके बगल में प्रधानमंत्री मोदी की एक मुस्कुराती हुई तस्वीर है. पोस्टर के नीचले हिस्से में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत बिहार बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं की तस्वीरें लगी हुई हैं. बीजेपी ने बिहार के वोटरों...

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हाथरस मामले में अब जो हो रहा है वह भी किसी दुष्कर्म से कम नहीं है

-सत्याग्रह, बलात्कार जैसी घटना पर पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया उस समाज से अलग नहीं होती जिसे वह प्रशासित करता है. और ऐसे मामलों में किसी समाज की प्रतिक्रिया को समझने के लिए यह देखना ज़रूरी है कि वह अपनी बेटियों के साथ किस तरह का व्यवहार करता है. हाथरस मेरा अपना गृह ज़िला है. अपने दो दशकों के निजी अनुभव से मैं कह सकती हूं कि इस क्षेत्र में लड़की...

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