SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 742

आंदोलनकारियों का चुनावी राजनीति में जाना: अन्ना आंदोलन से किसान आंदोलन तक के अनुभव

-गांव सवेरा,  किसान आंदोलन स्थगित हो गया है लेकिन किसानों के कुछ संगठन और किसान नेताओं की तरफ से हरियाणा और पंजाब में चुनाव लड़ने की खबर आ रही है। वैसे तो संयुक्त किसान मोर्चा ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है लेकिन हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी, जो मूलतः पंजाब के हैं, उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी है तो दूसरी ओर प्रतिष्ठित किसान नेता बलबीर सिंह...

More »

गुणवत्तापरक शिक्षा तथा मानवाधिकार का सवाल और हमारी जिम्मेदारी

-जनपथ, किसी भी जीवात्मा के मानव जाति में प्रवेश के साथ ही उसको कुछ नैसर्गिक अधिकार प्राप्त हो जाते हैं जो उसके सम्मानपूर्वक जीवन जीने का आधार बनते हैं। भारत के लिए मानवाधिकार कोई नई अवधारणा नहीं है। भारतीय संस्कृति में मानव के कल्याण की हमेशा कामना की जाती है जो कि मानवाधिकार का मूल स्रोत है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसम्बर 1948 को मानवाधिकार के सार्वभौमिक घोषणा पत्र को...

More »

क्यों चंपारण और खेड़ा के किसान आंदोलनों से बड़ा है मौजूदा किसान आंदोलन

-रूरल वॉइस, आज यानी 11 दिसंबर को गुरू ग्रंथ साहिब के पाठ और हवन के बाद किसान दिल्ली की सीमाओं पर लगे मोर्चों से अपने घरों को वापसी करेंगे। 378 दिन चला किसान आंदोलन देश और दुनिया के इतिहास में एक ऐसा मुकाम बना चुका है जिसके दोहराये जाने की कल्पना अभी संभव नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में अध्यादेशों के जरिये लाये गये तीन नये कृषि कानूनों के...

More »

बिहार: आजादी के 74 साल के बाद भी पंचायत चुनाव में राशन का मुद्दा

-गांव कनेक्शन, बिहार के सहरसा जिले के बीरगांव पंचायत के वार्ड नंबर-4 के डोम टोली में लगभग 75 परिवार रहते हैं, जिसमें 30-35 परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं। इसमें सभी लोग डोम यानी महादलित समुदाय से आते हैं। बिहार में राशन कार्ड के मामले में पिछड़ेपन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीरगांव पंचायत के वार्ड नम्बर-4 में खड़े हुए 7 वार्ड मेंबर सदस्यों में...

More »

कृषि कानूनों का रद्द होना तो मलाई है, लेकिन खुरचन है इस आंदोलन की दूरगामी उपलब्धि

-द प्रिंट, ‘तो, आखिर जहां से चले थे फिर से हम वहीं पहुंच गये, है ना ? आखिर हमारा हासिल क्या रहा ?’ तीन कृषि कानूनों के खात्मे पर मनाये जा रहे जश्न से कुछ-कुछ खिन्न नजर आ रहे एक युवा कार्यकर्ता ने किसी तीर की तरह सनसनाता और चुभता यह सवाल पूछा. उसका तर्क बड़ा सीधा सा था : किसान इन तीन कृषि कानूनों के आने के पहले से ही...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close