-द वायर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उनका कहना है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन सबका आंदोलन है. वह शुक्रवार को हरियाणा के झज्जर जिले के सैंपला में किसानों के धरने में पहुंचे थे. इस धरने का आयोजन सर छोटू राम...
More »SEARCH RESULT
अर्नब गोस्वामी की तरह पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन मामले में तेज़ी क्यों नहीं?
-बीबीसी, पत्रकार, सरकार की बदले की कार्रवाई, सुप्रीम कोर्ट और आज़ादी का मौलिक अधिकार. पिछले कुछ दिनों से ये शब्द मीडिया में छाए हुए हैं. हाल ही में आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में रिपब्लिक न्यूज़ चैनल के मालिक और पत्रकार अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिली है. आम लोगों में इस सवाल पर चर्चा हो रही है कि क्या देश की सर्वोच्च अदालत का रवैया और रूख़...
More »किसानों में आक्रोश को लेकर गांधी ने जो चेतावनी दी थी क्या आज हम उसी का सामना कर रहे हैं?
-सत्याग्रह, आधुनिक भारत में संगठित किसान आंदोलन के जनकों में से एक प्रोफेसर एनजी रंगा स्वयं एक किसान के बेटे थे. उन्होंने गुंटूर के ग्रामीण विद्यालय से लेकर ऑक्सफर्ड तक में अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी और वे गांधी से बेहद प्रभावित थे. गांधी से मिलते तो सवालों की झड़ी लगा देते थे और कई बार लंबी-लंबी प्रश्नावली पहले से लिखकर उन्हें सौंप देते थे. 1944 में जब गांधी जेल से...
More »पूर्वोत्तर में आजादी के सात दशकों बाद ही जस की तस है अलगाव की भावना
-डॉयचे वेले, मणिपुर में बहुत से लोग मानते हैं कि राज्य का भारत में जबरन विलय हुआ था. इसी वजह से राज्य के उग्रवादी संगठनों ने एक बार फिर 15 अगस्त के बायकाट और बंद की अपील की. इससे पहले पूर्वोत्तर के आधा दर्जन अन्य ऐसे संगठन भी यही अपील कर चुके थे. स्वाधीनता दिवस के बायकाट का यह सिलसिला भी देश की आजादी जितना ही पुराना है. पुराना है विवाद आजादी के...
More »जैसा बताया जाता है, क्या नेताजी और महात्मा गांधी के बीच वैसी ही दूरियां थीं?
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर जब आप ये शब्द पढ़ रहे होंगे, उसी समय सोशल मीडिया से लेकर अन्य मंचों पर नेताजी के बरक्स महात्मा गांधी की भी चर्चा चल रही होगी. ठीक है कि भारत की आज़ादी का कोई भी विमर्श महात्मा गांधी का नाम लिए बिना पूरा नहीं हो पाता. लेकिन आज नेताजी को महात्मा के खिलाफ ऐसे ही खड़ा किया जा रहा है मानो...
More »