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कोरोना वायरस से जुड़ी भ्रांतियों के कारण, हजारों छोटे महिला मुर्गीपालक किसानों को व्यवसाय में हुआ घाटा

-विलेज स्कवायर, कुंती धुर्वे, मध्य प्रदेश में होशंगाबाद जिले के केसला प्रशासनिक ब्लॉक के जामुंडोल गांव की एक लघु स्तरीय मुर्गी-उत्पादक हैं। केसला के कुल 15,000 परिवारों में से, लगभग 9,000 आदिवासी परिवार हैं। लगभग 13% अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखते हैं। कुंती धुर्वे 2001 में गठित एक सहकारी समिति, केसला पोल्ट्री सोसाइटी की अध्यक्ष भी हैं। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद और बैतूल जिले के 47 गाँवों के आदिवासी और दलित समुदायों...

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क्या दोबारा आएगा लॉकडाउन

-इंडिया टूडे,  14 अप्रैल को मौजूदा लॉकडाउन समाप्त होने के बाद सरकार 15 मई से देशभर में एक दूसरे लॉकडाउन पर विचार कर रही है. 3 अप्रैल को केंद्रीय रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई 16-सदस्यीय मंत्री समूह (जीओएम) की बैठक, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल थे, में जिन महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई उनमें लॉकडाउन को आगे बढाए जाने की बात भी शामिल थी. सरकार का मानना है...

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कोरोना वायरस: लॉकडाउन में क्या बंद और क्या खुला रहेगा?

-बीबीसी,  लॉकडाउन के दौरान क्या-क्या बंद रहेगा सार्वजनिक परिवहन बंद रहेगा. पर कुछ राज्यों ने कहा है कि 25% सरकारी बसें चलेंगी. सभी दुकानें, बड़े स्टोर, फ़ैक्ट्रियाँ, वर्कशॉप, दफ़्तर, गोदाम, साप्ताहिक बाज़ार बंद रहेंगे. अगर किसी ज़िले की सीमा दूसरे राज्य से मिलती है, तो उसे सील किया जाएगा. यानी बॉर्डर सील होंगे. एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ने वाली बस और रेल सेवाएं रद्द कर दी जाएंगी. कंस्ट्रक्शन का काम रोक दिया जाएगा. सभी...

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सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था- केसी त्यागी

मुजफ्फरपुर में ‘एक्यूट इंसेफेलाइटिस' नामक बीमारी से हुई बच्चों की मौत दर्दनाक घटना है. इसने सरकार और समाज दोनों को विचलित किया है. हालांकि, विशेषज्ञ अब तक इसे अज्ञात बीमारी बता रहे हैं, लेकिन चिकित्सकों ने भीषण गर्मी, कुपोषण और जागरूकता के अभाव आदि को इसका तात्कालिक कारण माना है. इस भीषण त्रासदी पर दलगत राजनीति भी हुई और मीडिया का बाजार भी गरमाया. मीडिया के एक वर्ग द्वारा राज्य...

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हकीकत को जानने का नया औजार-- कार्तिक मुरलीधरन

सरकारी दफ्तरों में बैठे हुए हाकिमों को ‘जमीनी हकीकत' जानने में जो समस्या पेश आती है, वह कोई नई नहीं है। इतिहास बताता है कि अशोक से लेकर अकबर तक तमाम सम्राट सच जानने के लिए वेश बदलकर अपने राज्य में घूमा करते थे। आज भी हमारी सरकारों के लिए यह जानना एक बड़ी चुनौती है कि उनकी जन-हितकारी योजनाएं कैसी चल रही हैं? कनिष्ठ अधिकारी अक्सर इन योजनाओं...

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