हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टियों और उम्मीदवारों के द्वारा अपने प्रचार के लिए मीडिया में धन का जम कर इस्तेमाल हुआ। अपने किसी भी चुनावी कवरेज के लिए एक उम्मीदवार को धन के इस संगठित खेल का हिस्सा होना पड़ा या कहें तो जबरन मजबूरी में इसका हिस्सा होना पड़ा। क्योंकि ऐसी धन संस्कृति का मीडिया में इस्तेमाल होने लगा है कि पैसा नहीं तो कवरेज भी नहीं। मीडियाई दुनिया...
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तो अब नहीं मिलेगी तारीख पर तारीख
तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख। जज साहब, यहां न्याय नहीं मिलता, मिलती है तो सिर्फ तारीख। जीं हां, फिल्म दामिनी में बोला गया यह डायलाग लोगों को इस कदर याद हो गया है कि जब भी किसी केस के जजमेंट में देरी की बात आती है तो आदमी यही लाइन्स दोहराता है। पर अब एक राहत की बात यह है कि अगर सब कुछ सही रहा तो लोगों को कोर्ट से तारीख पर तरीख...
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