उत्तर भारत में, खासकर गर्मियों में, बिजली की समस्या काफी गंभीर हो जाती है. राज्यों की विद्युत उत्पादन क्षमता काफी सीमित है. ऐसे में केंद्रीय पूल से निर्धारित किये गए कोटे से ही राज्यों को मिलने वाली बिजली पर संतोष करना पड़ता है. कभी-कभी तो इसमें भी कटौती की जाने लगती है. ऐसे में बिजली कटौती, लोगों का जीना मुहाल कर देती है. ज्यों- ज्यों विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तरक्की की...
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दूरसंचार की दूसरी क्रांति- गोपाल विट्ठल
लगभग 75 फीसदी क्षेत्र और 90 फीसदी आबादी तक पैठ जमाकर मोबाइल ने देश के कोने-कोने में अपनी असरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। आधुनिकतम तकनीकों, न्यूनतम शुल्क दरों और अनूठे बिजनेस मॉडलों के जरिये भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि जोश, कुशलता और उद्यमिता की बदौलत विश्व स्तर के उद्योग को कुछ ही वर्षों में कैसे खड़ा किया जाता है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच...
More »'सफेद सोना" बनता जा रहा है दूध - धर्मेंद्रपाल सिंह
भोपाल को-ऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन ने सांची दूध के दाम दो रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिए। इससे पहले मदर डेयरी और अमूल दूध के दाम बढ़ाए गए थे। चार महीने के भीतर दूध के दाम दूसरी बार बढ़े हैं। सबसे पहले गुजरात को-ऑपरेटिव दूध विपणन महासंघ ने अमूल दूध का भाव दो रुपए प्रति लीटर बढ़ाने की घोषणा की थी। देश की इस सबसे बड़ी को-ऑपरेटिव की देखा-देखी अन्य दूध उत्पादकों...
More »अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था- अविनाश कुमार चंचल
दुनियाभर के पर्यावरण विशेषज्ञ 2014 को अलनीनो का साल मान रहे हैं. अगर सच में यह साल अलनीनो के प्रभावों वाला होगा, तो यह भारत सहित समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए चिंताजनक स्थिति बन सकती है. भारतीय मौसम विभाग ने भी इस साल मॉनसून में कमी का अनुमान जताया है. अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव पर नजर डाल रहा है आज का नॉलेज. पर्यावरण के गंभीर खतरों के बीच...
More »विषमता का विकास- सुषमा वर्मा
जनसत्ता 17 फरवरी, 2014 : विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में यह रहस्योद्घाटन किया कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले पंद्रह बरस में बढ़ कर बारह गुना हो गई है। क्रिस्टीना के अनुसार, इन मुट्ठी भर अमीरों के पास इतना पैसा है जिससे पूरे देश की गरीबी को एक नहीं, दो बार मिटाया जा सकता है। लेगार्ड के इस बयान से पुष्टि होती है...
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